स्वरभंग, गला बैठना
अस्पष्ट आवाज (खराब आवाज), कर्कश स्वर (भारी आवाज) को स्वरभंग या गला बैठना कहते हैं। ठंड लगने या ठंड शरीर में बैठ जाने से आवाज अटकने से होता है। ज्यादा जोर से बोलने या ज्यादा देर तक लगातार बोलने या गाने से भी यह रोग हो जाता है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
1. नमक :3. कत्था : 1 ग्राम कत्था को सरसों के तेल में भिगोकर मुंह में रखने से सभी प्रकार का स्वर भंग (गला बैठना) ठीक हो जाता है।
4. छोटी हरड़ : छोटी हरड़ का चूर्ण बनाकर 6 ग्राम चूर्ण को गाय के दूध में मिलाकर 7 से 8 दिनों तक लगातार सेवन करने से गला बैठना व गले का दर्द, खुश्की आदि ठीक हो जाती हैं।
5. मिश्री :
सौंठ और मिश्री बराबर मिलाकर महीन पीस-छानकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण में शहद मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसकी गोलियों को चूसने से बैठा हुआ गला खुल जाता है तथा गले की खुश्की खत्म हो जाती है।
1 चम्मच मिश्री, 1 चम्मच घी और 15 दाने पिसी हुई कालीमिर्च के मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। ध्यान रहे कि इसे चाटने के कुछ घंटे पानी न पियें।
7. मुलहठी :
पान में मुलहठी डालकर रात को सोते समय खायें और सो जायें। सुबह उठने पर आवाज साफ हो जायेगी।
मुलहठी को मुंह में रखकर उसका रस चूसने से भी गले में आराम आता है।
सोते समय 1 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को मुंह में रखकर कुछ देर चबाते रहे या फिर सिर्फ मुंह में रखकर सो जाएं। सुबह सोकर उठने पर गला जरूर साफ हो जायेगा। अगर मुलहठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर मुंह में रखा जायें तो और भी अच्छा रहेगा इससे सुबह गला खुलने के अलावा गले का दर्द और सूजन भी दूर होती है।
3 ग्राम मुलहठी की जड़ का चूर्ण 250 मिलीलीटर दूध को अनुपात से दिन में 2 बार लेना चाहिए और मूल (जड़) को समय-समय पर चूसते रहना चाहिए।
स्वर भंग में मुलहठी को मुंह में रखकर चूसने से लाभ होता है।
9. अजमोदा : अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षार और चित्रक के चूर्ण को शहद तथा घी के साथ चाटने से स्वर भेद दूर होता है। मात्रा 1 से 2 ग्राम तथा दिन में तीन बार देनी चाहिए।
10. अदरक :
अदरक में छेद करके उसमें एक चने के बराबर हींग भरकर कपड़े में लपेटकर सेंक लें और इसे पीसकर छोटी-छोटी आकार की गोलियां बना लें। 1-1 गोली दिन में 8 बार चूसें।
अदरक का रस शहद में मिलाकर चूसने से भी गले की आवाज खुल जाती है। आधा चम्मच अदरक का रस प्रत्येक आधा-आधा घंटे के अंतराल में सेवन करने से खट्टी चीजे खाने के कारण बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। अदरक के रस को कुछ समय तक गले में रोकना चाहिए। इससे गला साफ हो जाता है।
आधा चम्मच अदरक के रस को चौथाई कप गर्म पानी में मिलाकर आधे-आधे घंटे में 4 बार पीने से सर्दी के कारण या खट्टी चीजों के खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। अदरक के रस को गले में कुछ समय तक रोकना चाहिए यानी कि रस को कुछ समय तक निगलना नही चाहिए। इससे गला साफ हो जाता है।
पिसी हुई कालीमिर्च और घी मिलाकर भोजन करते समय पीने से लाभ होता है।
अदरक के अंदर छेद करके उसमें थोड़ी सी हींग और नमक भरकर उस अदरक को कपड़े में लपेटकर उसके ऊपर मिट्टी लगा दें और आग में रख दें। जब अदरक पक जाये और खुशबू आने लगे तब आग से निकालकर कपड़े को उतारकर थोड़ी-थोड़ी अदरक को खाने से गला खुल जायेगा और आवाज भी साफ हो जायेगी।
अदरक के रस में सेंधानमक मिलाकर चाटने से बहुत लाभ होता है।
अदरक, लौंग, हींग और नमक को मिलाकर पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां तैयार करें। दिन में 3-4 बार एक-एक गोली चूसें।
14. लहसुन :
गरम पानी के साथ लहसुन का रस मिलाकर गरारे करने से फायदा होता है।
एक कली लहसुन का रस और फूली हुई फिटकरी को पानी में डालकर कुल्ला करने से बैठी हुई आवाज में लाभ होता है।
लहसुन को दीपक की लौ में भूनकर पीस लें। उसमें मुलहठी का चूर्ण मिला लें। फिर 2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से बैठी हुई आवाज ठीक हो जाती है।
गर्म पानी में लहसुन का रस मिलाकर सुबह-शाम गरारे करने से गले में लाभ होता है।
लहसुन को पीसकर गर्म पानी में मिलाकर बार-बार गरारे करने से सिर्फ 2-3 बार में ही गला साफ हो जाता है। एक बार में कम से कम 10 मिनट तक लगातार गरारे करें।
16. सुहागा :
सुहागा पीस लें इसकी चुटकी भर चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है।
जिन लोगों का गला ज्यादा जोर से बोलने के कारण बैठ गया हो उन्हें कच्चा सुहागा आधा ग्राम (मटर के बराबर सुहागे का टुकड़ा) मुंह में रखने और चूसते रहने से स्वरभंग (बैठे हुए गला) में 2 से 3 घंटों में ही आराम हो जाता है।
5 से 10 मिलीलीटर ऊंटकटोरे का मूल स्वरस (जड़ का रस) अकेले या सुहागे की खील (लावा) के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से स्वरभंग (गला बैठने पर) ठीक हो जाता है।
स्वरभंग (गला बैठने पर) होने पर सुहागे की टिकिया चूसते रहने से गले में जल्दी आराम आता है।
19. ब्राह्मी : ब्राह्मी की जड़ 100 ग्राम, मुनक्का 100 ग्राम और शंखपुष्पी 50 ग्राम को चौगुने पानी में मिलाकर रस निकाल लें। इस रस का सेवन करने से शरीर स्वस्थ होता है और आवाज भी साफ होती है।
20. शहद :
1 कप गर्म पानी में 1 चम्मच शहद डालकर गरारे करने से आवाज खुल जाती है।
फूली हुई फिटकरी को पीसकर शहद के साथ मिलाकर पानी मिलाकर कुल्ले किये जा सकते हैं।
मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ चाटना चाहिए।
3 से 9 ग्राम की मात्रा में बहेड़ा के चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से स्वरभंग (गला बैठना) और गले के दूसरे रोग भी ठीक हो जाते हैं।
22. पीपल : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम पीपल के चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है।
23. सोंठ : सोंठ और कायफर (कायफल) को मिलाकर काढ़ा तैयार कर ले और इस काढ़े को सुबह-शाम सेवन करने और काढ़े से गरारा करने से आराम आता है।
24. लताकस्तूरी : लताकस्तूरी के बीजों के चूर्ण के धूम्रपान से स्वरभंग (गला बैठने पर) में लाभ होता है।
25. गुड़ : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम गुग्गुल को गुड़ के साथ रोजाना 3 से 4 बार लेने से गले में आराम आता है।
26. कचूर : कचूर को मुंह में रखकर चबाने से या चूसते रहने से गला साफ और आवाज मीठी हो जाती है। गाना गाने वाले लोग ज्यादातर इसका प्रयोग करते हैं।
27. तालीसपत्र: स्वरभंग (गला बैठने पर) में तालीसपत्र (अबीस वेभइआना लाइंड) का काढ़ा या फांट सुबह-शाम सेवन करने से गले में आराम आता है।
28. शोधित कुचला : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शोधित कुचले का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से ज्यादा बोलने के कारण पैदा हुआ स्वरभंग (गला बैठने पर) ठीक हो जाता है।
29. बतासे : 5 से 10 बूंद कायापुटी का तेल बतासे या चीनी पर डालकर रोजाना 3 से 4 बार सेवन करने से स्वरभंग (गला बैठने पर) ठीक हो जाता है।
30. कालीमिर्च :
कालीमिर्च और मिश्री एक साथ चबाकर खाने से या दोनों को मिलाकर चूर्ण बनाकर चुटकी भर चूर्ण रोजाना 3 से 4 बार मुंह में रखकर चूसते रहने से गला जल्दी से बिल्कुल साफ हो जाता है।
गला बैठने पर पिसी हुई कालीमिर्च और घी को पानी में मिलाकर भोजन करते समय पीने से लाभ होता है।
कालीमिर्च 10 ग्राम और इतनी मात्रा में मुलेठी तथा 20 ग्राम मिश्री। इनको पीसकर सुबह-शाम रोज चुटकी भर लेकर और शहद में मिलाकर खाने से आवाज साफ और सुरीली हो जाती है।
रात को सोते समय 12 कालीमिर्च के दाने और बताशे लेकर हर बताशे के अंदर 2 कालीमिर्च रखकर चबाकर सो जायें। इसके ऊपर पानी न पीयें। इससे सर्दी-जुकाम से बैठा हुआ गला ठीक हो जायेगा।
33. गुड़ : 10 ग्राम उबलते चावल, 10 ग्राम गुड़ और 40 मिलीलीटर पानी को एक साथ मिलाकर पका लें और पकने पर उसमें घी मिलाकर दिन में 2 बार लें। इससे स्वरभंग में लाभ होता है।
34. खूबकलां : 1 से 2 ग्राम खूबकलां (खाकसीर) के बीज को पानी में डालकर लुआबदार घोल सुबह-शाम पीने से स्वरभंग (गला बैठने पर) दूर हो जाता है।
35. शहतूत : शहतूत के पत्तों के काढ़े से गण्डूस (गरारे) कराने से स्वरभंग (गला बैठने पर) में आराम आता है।
36. मालकांगनी : मालकांगनी, बच, अजवायन, खुरासानी, कुलंजन और पीपल को बराबर मात्रा में लेकर इसमें शहद मिलाकर रोजाना 3 ग्राम चटाने से गले में आराम आता है।
37. मूली के बीज :
मूली के बीजों को पीसकर गर्म पानी में मिला लें। उसके बाद किसी साफ कपड़े में छानकर रोगी को खिला दें।
मूली के 12 बीजों को पीसकर गर्म पानी के साथ फांक लेने से गला साफ हो जाता है।
आवाज बैठ गई हो तो 5 ग्राम मूली के बीजों को गर्म पानी में पीसकर पीने से आवाज खुल जाएगी।
आधा चम्मच मूली के बीजों को पीसकर गर्म जल के साथ लेने से गला साफ हो जाता है।
मूली के 5-10 ग्राम बीजों को पीसकर गर्म पानी के साथ दिन में 3-4 बार फंकी लेने से गला साफ होता है।
40. हल्दी : गर्म दूध में थोड़ा हल्दी डालकर पीने से स्वर भेद (मोटी आवाज), बैठी आवाज या दबी आवाज में फायदा होता है।
41. धान : 10 ग्राम चावल, 10 ग्राम गुड़ और 40 ग्राम चीनी को मिलाकर दिन में 3 बार खाने से लाभ मिलता है।
42. जामुन :
जामुन की मुठली का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर 3 से 4 बार सेवन करना चाहिए।
जामुन की गुठलियों को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियां बना लें। यह 2-2 गोली रोजाना 4-4 बार चूसने से बैठा हुआ गला खुल जाता है। आवाज का भारीपन ठीक हो जाता है। ज्यादा दिन तक उपयोग करने से बिगड़ी हुई आवाज ठीक हो जाती है। अधिक बोलने, गाना गाने वालों के लिए यह बहुत उपयोगी है।
44. गुंजा : गुंजा के ताजे पत्तों को कबाबचीनी और शक्कर के साथ सेवन करने से स्वरभंग (गला बैठ जाना) दूर हो जाता है।
45. सेहुण्ड : खिरैटी, शतावर और चीनी को शहद के साथ चाटने से स्वरभंग खत्म हो जाता है।
46. शंखपुष्पी : शंखपुष्पी के पत्तों को चबाकर रस चूसने से बैठा हुआ गला ठीक होकर आवाज सुधरती है।
47. लालमिर्च : थोड़ी सी लालमिर्च के साथ बादाम और चीनी मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें और रोज खायें। इससे स्वर भंग (आवाज की खराबी) दूर होता है।
48. अनार :
50. अफीम :
52. नींबू : गला बैठ जाए या गले में सूजन हो जाये तो ताजा पानी या गर्म पानी में नींबू निचोड़कर और उसमें नमक डालकर गरारे करने से जल्दी लाभ होता है।
53. शलगम : शलगम को पानी में उबाल लें फिर उस पानी को छानकर उसमें शक्कर यानी चीनी को मिलाकर रोजाना 2 बार पीने से बैठे हुए गले में आराम आता है।
54. पानी : 1 भगोने (पतीले) में पानी डालकर उबाल लें। जब पानी में भाप (धुंआ) उठने लगे तो पतीले के ऊपर मुंह करके उसमें से निकलने वाली भाप (धुंए) को गले में खींचने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
55. अजवाइन : अजवाइन और चीनी को पानी में उबालकर रोजाना सुबह-शाम पीने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
56. जौ : सुबह-सुबह 25 जौ (जौ गेंहू के जैसे होते हैं) चबाकर निगल जाने से आवाज ठीक हो जाती है।
57. आम : आम के पत्तों के काढ़े में शहद मिलाकर धीरे-धीरे पीने से स्वरभंग में लाभ होता है।
58. कुलंजन :
1 ग्राम कुलंजन को पान में रखकर खाने से आराम आता है।
कुलंजन, मुलेठी, अकरकरा और सेंधानमक बराबर मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को जीभ पर रगड़कर निगल लें।
कुलंजन को मुंह में रखकर चूसने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
10 ग्राम दक्खनी मिर्च और 10 ग्राम कुलंजन को पीसकर और छानकर उसमें 20 ग्राम खांड मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम चूसें। इससे बंद आवाज खुलने में लाभ होता है।
60. सत अजवायन : चने की दाल के बराबर सत अजवायन लेकर पान में रखकर चबाएं और उसका रस निगल लें।