स्वरभंग, गला बैठना gala bethna

स्वरभंग, गला बैठना

        अस्पष्ट आवाज (खराब आवाज), कर्कश स्वर (भारी आवाज) को स्वरभंग या गला बैठना कहते हैं। ठंड लगने या ठंड शरीर में बैठ जाने से आवाज अटकने से होता है। ज्यादा जोर से बोलने या ज्यादा देर तक लगातार बोलने या गाने से भी यह रोग हो जाता है।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी

गला बैठना

अरबी

मठ भंगा

बंगाली

स्वरभंग

गुजराती

शद्धबेसीजवो, गडुबसीजवो

कन्नड़

ध्वनि बिलुवडा

मलयालम

औचयटप्पु

मराठी

आवाजफूटने, आवाज बसने

उड़िया

तांतीवसीजीबा

पंजाबी

गला बैठना

तमिल

कुरलकम्मल

तेलगू

बोगूंरू

अंग्रेजी

होर्सनैस।
खट्टा, चटपटा या ज्यादा मसालेदार चीजें खाने से गला बैठ सकता है। यह चीजें हमारी आवाज को खराब कर देती हैं स्वर-यंत्र में सूजन आने से, जोर-जोर से बोलने से, अधिक खांसी और गले में जख्म आदि कारणों से भी आवाज बैठ जाती है जिसमें रोगी को बोलते समय गले में जलन सी महसूस होती है। गले में कफ (बलगम) रुक जाता है। शरीर में कमजोरी, खून की कमी, वीर्य आदि के कम हो जाने के कारण भी गले की आवाज खराब हो जाती है।
1. नमक :
2. छोटी पीपल : भोजन के बाद कालीमिर्च और छोटी पीपल को मिलाकर खाने से कफज के कारण स्वर भंग (आवाज बैठना) में आराम मिलता है।
3. कत्था : 1 ग्राम कत्था को सरसों के तेल में भिगोकर मुंह में रखने से सभी प्रकार का स्वर भंग (गला बैठना) ठीक हो जाता है।
4. छोटी हरड़ : छोटी हरड़ का चूर्ण बनाकर 6 ग्राम चूर्ण को गाय के दूध में मिलाकर 7 से 8 दिनों तक लगातार सेवन करने से गला बैठना व गले का दर्द, खुश्की आदि ठीक हो जाती हैं।
5. मिश्री :
6. गन्ना : गन्ने को भूनकर तथा छीलकर चूसने से गले की खुश्की व बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।
7. मुलहठी :
8. छुहारे : सोते समय एक छुहारा उबालकर दूध में लें। इसके सेवन के दो घंटे बाद पानी न पियें। ऐसा करने से आवाज साफ हो जाएगी।
9. अजमोदा : अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षार और चित्रक के चूर्ण को शहद तथा घी के साथ चाटने से स्वर भेद दूर होता है। मात्रा 1 से 2 ग्राम तथा दिन में तीन बार देनी चाहिए।
10. अदरक :
11. पान :
12. इमली :
13. प्याज : प्याज को आग में दबाकर उसका भुरता बना लें। रोगी को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भुना सुहागा खिलाकर ऊपर से प्याज का भुरता खिलाने से स्वरभंग (आवाज़ का खराब होना) ठीक हो जाता है।
14. लहसुन :
15. सिरस : सिरस की छाल और हल्दी दोनों पीसकर, तेल में सेंककर, गले पर लेप करके, रूई लगाकर, पट्टी बांधकर रात को सोयें। सुबह गला खुल जायेगा।
16. सुहागा :
17. बेर :
18. तुलसी : स्वरभंग (गला बैठना) में तुलसी की जड़ को मुलेठी की तरह चूसते रहने से लाभ मिलता है।
19. ब्राह्मी : ब्राह्मी की जड़ 100 ग्राम, मुनक्का 100 ग्राम और शंखपुष्पी 50 ग्राम को चौगुने पानी में मिलाकर रस निकाल लें। इस रस का सेवन करने से शरीर स्वस्थ होता है और आवाज भी साफ होती है।
20. शहद :
21. सफेद जीरा : आधे से 2 ग्राम सफेद जीरे को रोजाना 2 बार चबाने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है।
22. पीपल : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम पीपल के चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है।
23. सोंठ : सोंठ और कायफर (कायफल) को मिलाकर काढ़ा तैयार कर ले और इस काढ़े को सुबह-शाम सेवन करने और काढ़े से गरारा करने से आराम आता है।
24. लताकस्तूरी : लताकस्तूरी के बीजों के चूर्ण के धूम्रपान से स्वरभंग (गला बैठने पर) में लाभ होता है।
25. गुड़ : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम गुग्गुल को गुड़ के साथ रोजाना 3 से 4 बार लेने से गले में आराम आता है।
26. कचूर : कचूर को मुंह में रखकर चबाने से या चूसते रहने से गला साफ और आवाज मीठी हो जाती है। गाना गाने वाले लोग ज्यादातर इसका प्रयोग करते हैं।
27. तालीसपत्र: स्वरभंग (गला बैठने पर) में तालीसपत्र (अबीस वेभइआना लाइंड) का काढ़ा या फांट सुबह-शाम सेवन करने से गले में आराम आता है।
28. शोधित कुचला : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शोधित कुचले का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से ज्यादा बोलने के कारण पैदा हुआ स्वरभंग (गला बैठने पर) ठीक हो जाता है।
29. बतासे : 5 से 10 बूंद कायापुटी का तेल बतासे या चीनी पर डालकर रोजाना 3 से 4 बार सेवन करने से स्वरभंग (गला बैठने पर) ठीक हो जाता है।
30. कालीमिर्च :
31. हींग :
32. बच : कत्था, बच, कुलंजन और बावची को पीसकर मुंह में रखने से गले में आराम आता है।
33. गुड़ : 10 ग्राम उबलते चावल, 10 ग्राम गुड़ और 40 मिलीलीटर पानी को एक साथ मिलाकर पका लें और पकने पर उसमें घी मिलाकर दिन में 2 बार लें। इससे स्वरभंग में लाभ होता है।
34. खूबकलां : 1 से 2 ग्राम खूबकलां (खाकसीर) के बीज को पानी में डालकर लुआबदार घोल सुबह-शाम पीने से स्वरभंग (गला बैठने पर) दूर हो जाता है।
35. शहतूत : शहतूत के पत्तों के काढ़े से गण्डूस (गरारे) कराने से स्वरभंग (गला बैठने पर) में आराम आता है।
36. मालकांगनी : मालकांगनी, बच, अजवायन, खुरासानी, कुलंजन और पीपल को बराबर मात्रा में लेकर इसमें शहद मिलाकर रोजाना 3 ग्राम चटाने से गले में आराम आता है।
37. मूली के बीज :
38. शीतलचीनी :
39. कराजनीः स्वऱभंग (गला बैठने पर) में श्वेतकुंजा (कराजनी) के पत्ते कबाबचीनी के साथ मिश्री मिलाकर या अकेले श्वेतगुंजा के साथ सिर्फ मिश्री को मिलाकर चूसते रहने से गले में पूरा आराम होता है।
40. हल्दी : गर्म दूध में थोड़ा हल्दी डालकर पीने से स्वर भेद (मोटी आवाज), बैठी आवाज या दबी आवाज में फायदा होता है।
41. धान : 10 ग्राम चावल, 10 ग्राम गुड़ और 40 ग्राम चीनी को मिलाकर दिन में 3 बार खाने से लाभ मिलता है।
42. जामुन :
43. अगस्ता : अगस्ते की पत्तियों के काढ़े से गरारे करने से सूखी खांसी, जीभ का फटना, स्वरभंग तथा कफ के साथ रुधिर निकलने में लाभ होता है।
44. गुंजा : गुंजा के ताजे पत्तों को कबाबचीनी और शक्कर के साथ सेवन करने से स्वरभंग (गला बैठ जाना) दूर हो जाता है।
45. सेहुण्ड : खिरैटी, शतावर और चीनी को शहद के साथ चाटने से स्वरभंग खत्म हो जाता है।
46. शंखपुष्पी : शंखपुष्पी के पत्तों को चबाकर रस चूसने से बैठा हुआ गला ठीक होकर आवाज सुधरती है।
47. लालमिर्च : थोड़ी सी लालमिर्च के साथ बादाम और चीनी मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें और रोज खायें। इससे स्वर भंग (आवाज की खराबी) दूर होता है।
48. अनार :
49. अपराजिता : 10 ग्राम अपराजिता के पत्ते, 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर आधा शेष रहने पर सुबह-शाम गरारे करने से, टांसिल, गले के घाव और स्वर भंग में लाभ होता है।
50. अफीम :
51. आंवला : 1 चम्मच पिसे हुए आंवले की गर्म पानी से फंकी लेने से बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज साफ आने लगती है।
52. नींबू : गला बैठ जाए या गले में सूजन हो जाये तो ताजा पानी या गर्म पानी में नींबू निचोड़कर और उसमें नमक डालकर गरारे करने से जल्दी लाभ होता है।
53. शलगम : शलगम को पानी में उबाल लें फिर उस पानी को छानकर उसमें शक्कर यानी चीनी को मिलाकर रोजाना 2 बार पीने से बैठे हुए गले में आराम आता है।
54. पानी : 1 भगोने (पतीले) में पानी डालकर उबाल लें। जब पानी में भाप (धुंआ) उठने लगे तो पतीले के ऊपर मुंह करके उसमें से निकलने वाली भाप (धुंए) को गले में खींचने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
55. अजवाइन : अजवाइन और चीनी को पानी में उबालकर रोजाना सुबह-शाम पीने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
56. जौ : सुबह-सुबह 25 जौ (जौ गेंहू के जैसे होते हैं) चबाकर निगल जाने से आवाज ठीक हो जाती है।
57. आम : आम के पत्तों के काढ़े में शहद मिलाकर धीरे-धीरे पीने से स्वरभंग में लाभ होता है।
58. कुलंजन :
59. बादाम : 7 बादाम की गिरी और 7 कालीमिर्च को थोड़े से पानी में डालकर और उसमें थोड़ी सी पिसी हुई चीनी मिलाकर चाटने से खुश्की की वजह से बंद हुई आवाज खुल जाती है।
60. सत अजवायन : चने की दाल के बराबर सत अजवायन लेकर पान में रखकर चबाएं और उसका रस निगल लें।