प्यास अधिक लगना
1. धनिया : हरा धनिया और सूखा आंवला को मिलाकर चटनी बनाकर प्रतिदिन खाने से गले का सूखना व प्यास का अधिक लगना दूर हो जाता है।
2. खुरफे : खुरफे के बीजों को 10 ग्राम पानी के साथ पीस व छानकर खांड मिलाकर पिलाने से प्यास की तीव्रता कम हो जाती है।
3. शहद :
4. इमली :
5. इलायची : 12 छोटी इलायची के छिलके को 1 गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर इसके चार हिस्से करके हर 2-2 घण्टे पर पिलाने से प्यास अधिक नहीं लगेगी। किसी भी बीमारी में यदि प्यास अधिक हो तो ठीक हो जाती है।
6. बबूल : प्यास और जलन में इसकी छाल के काढ़े में मिश्री मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे लाभ होता है।
7. बरगद : बरगद की कोंपलों के साथ दूब, घास, लोध्र, अनार की फली और मुलेठी बराबर में लेकर, एक साथ पीसकर शहद में मिलाकर चावलों के धोवन के साथ सेवन करने से उल्टी और प्यास में शांति मिलती है।
8. बारतग : प्यास ज्यादा लगने पर बारतग के 5 ग्राम बीज पानी के साथ सेवन करने से प्यास दूर होती है।
9. कागजी नींबू : कागजी नींबू के रस में 2 चुटकी भर चीनी डालकर पिलाने से प्यास के अधिक लगाने में लाभ होता है।
10. केला :
11. मुनक्का :
12. किशमिश :
13. मुलहठी : मुलहठी में शहद मिलाकर सूंघने से तेज प्यास खत्म हो जाती है तथा थोड़े-थोड़े देर पर लगने वाली प्यास मिट जाती है।
14. बिहीदाना : बिहीदाना 3 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में 1 घंटा भिगो दें। 1 घंटे बाद बिहीदाना को उसी पानी में मसलकर छान लें। इस पानी में खांड मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पिलायें। इससे बार-बार गले का सूखना बंद हो जाता है।
15. सिरका : ठंडे पानी में सिरका मिलाकर पीने से बादी की प्यास मिट जाती है।
16. गिलोय : गिलोय का रस 6 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में कई बार देने से प्यास शांत हो जाती है।
17. प्याज : प्यास अधिक लगने पर प्याज, पोदीना और मिश्री को मिलाकर घोटकर पिलाने से प्यास में लाभ होता है।
18. पीपल :
19. पान : पान खाने से प्यास कम लगती हैं।
20. पानी : गर्म पानी में नमक मिलाकर पीने से खुश्की की प्यास ठीक हो जाती है।
21. संतरा: प्यास अधिक लगने पर नारंगी के सेवन से प्यास कम होती है।
22. सोंठ :
23. सौंफ :
24. सोना : गरम सोना, चांदी व गरम ईंट को जिस पानी में बुझाएं उस पानी को पीने से तेज प्यास शांत हो जाती है।
25. सेब : सेब का रस पानी में मिलाकर पीने से प्यास कम लगती है। जिन्हे वायु विकार हो, उन्हें यह प्रयोग लाभकारी नहीं होगा।
26. उदुम्बर के पत्ते :
27. दही : दही में गुड़ मिलाकर खाने से बादी प्यास मिट जाती है तथा भोजन के बाद आने वाले तेज प्यास कम होती है।
28. दूध : ताजा दूध 100 से 500 मिलीलीटर पाचन क्षमता के अनुसार पीने से तेज प्यास दूर होती है।
29. चकोतरा : चकोतरे का रस थोड़ा सा पानी मिलाकर पीने से जलन व प्यास शांत होती है और बुखार भी उतर जाता है।
30. चावल : चावल का काढ़ा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग दिन में 2 से 3 बार खाने से प्यास शांत होती है।
31. फालसा : पके फालसों के रस में पानी मिलाकर पीने से तृषा (प्यास) का रोग दूर होता है।
32. तरबूज : तरबूज खाने से प्यास लगना कम हो जाता है। तरबूज के रस में मिश्री को मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से रोग में अधिक लाभ होता है।
33. तुलसी :
34. जायफल : किसी भी प्रकार के रोग में प्यास अधिक लगने पर जायफल का टुकड़ा मुंह में रखने से लाभ होता है।
35. जामुन :
36. जामुन के पत्ते : जामुन के सूखे पत्तों का काढ़ा बनाकर लगभग 7 से 14 मिलीलीटर काढ़े में 5 से 10 ग्राम चीनी मिलाकर दिन में 3 बार पीने से बुखार में प्यास का लगना कम हो जाता है।
37. जौ :
38. ज्वार : ज्वार की रोटी को छाछ में भिगोकर खाने से प्यास लगना कम होता है। ज्वार की रोटी कमजोर और वात पित्त के रोगी को न देना चाहिए।
39. नमक :
40. नींबू :
41. नीम :
42. नीलोफर : नीलोफर के फूल 20 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में 2 घंटे भिगोने के बाद पानी छानकर थोड़ा-थोड़ा करके दिन में 3 से 4 बार पीयें। इससे अधिक बोलने या गाने के बाद गला सूखने से लगने वाली प्यास खत्म होती है तथा गला सूखता नहीं है।
43. नारियल :
44. नारंगी : प्यास अधिक लगने पर नारंगी खाने से प्यास कम लगती है।
45. नागरमोथा : नागरमोथा, पित्तपापड़ा, उशीर (खस), लाल चंदन, सुगन्धबाला, सौंठ आदि पदार्थो को पीसकर काढ़ा बना लें और ठंडे पानी के साथ बीमार व्यक्ति को देने से प्यास और ज्वर की प्यास में शांति मिलती है।
46. अंजीर : बार-बार प्यास लगने पर अंजीर का सेवन करने से लाभ होता है।
47. अमरूद :
48. आंवला : आंवला और सफेद कत्था मुंह में रखने से प्यास का अधिक लगना ठीक हो जाता है।
49. आम :
50. आमलकी फल : आमलकी फल का चूर्ण 2 से 4 ग्राम को 5 से 10 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 से 3 बार खिलायें। इससे तेज प्यास खत्म होती है।
51. आलूबुखारा: आलूबुखारे को मुंह में रखने से प्यास कम लगती है तथा गले का सूखना बंद हो जाता है।
52. अतीस :
53. अनार :
54. अगर : बुखार होने पर रोगी को बार-बार प्यास लगती हो तो अगर का काढ़ा बनाकर पिलाने से प्यास में आराम मिलता है।
55. गुड़ : गुड़ का शर्बत पीने से गरिष्ठ भोजन की प्यास दूर हो जाती है।
56. गुड़ूची : ताजे गुड़ूची का रस निकालकर लगभग 7 से 14 मिलीलीटर पीने से किसी भी प्रकार के रोगों में प्यास लगना कम हो जाता है।
57. गुलकन्द :
58. गूलर :
59. लीची : लीची गर्मियों के तपन व प्यास को शांत करती है।
60. लौंग :
61. लाल चावल : लाल चावलों का भात ठंडा करके शहद मिलाकर खाने से पुराना तृष्ण (प्यास) रोग मिट जाता है।
प्यास (तृष्णा) एक रोग है जो अत्यधिक प्यास से उत्पन्न होता है। अत्यधिक परिश्रम करने पर या बुखार होने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर में पानी की कमी होने पर पानी की कमी को दूर करने के लिए प्यास लगती है जिसे प्यास (तृष्णा) कहते हैं।परिचय :
प्यास का वेग रोकने से उत्पन्न होने वाले रोग :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिन्दी |
तास, प्यास |
अंग्रेजी |
पोली डिपसीमा, एक्सेसीव थस्ट |
अरबी |
पियाह |
बंगाली |
तृष्णा |
गुजराती |
पियास |
कन्नड़ी |
वायरिके |
मलयालम |
तृक्ष्णा |
मराठी |
तहाना |
उड़िया |
शोष |
पंजाबी |
पयासरोग |
तमिल |
निरवेटकइ |
तेलगू |
दुप्पी |
2. खुरफे : खुरफे के बीजों को 10 ग्राम पानी के साथ पीस व छानकर खांड मिलाकर पिलाने से प्यास की तीव्रता कम हो जाती है।
3. शहद :
6. बबूल : प्यास और जलन में इसकी छाल के काढ़े में मिश्री मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे लाभ होता है।
7. बरगद : बरगद की कोंपलों के साथ दूब, घास, लोध्र, अनार की फली और मुलेठी बराबर में लेकर, एक साथ पीसकर शहद में मिलाकर चावलों के धोवन के साथ सेवन करने से उल्टी और प्यास में शांति मिलती है।
8. बारतग : प्यास ज्यादा लगने पर बारतग के 5 ग्राम बीज पानी के साथ सेवन करने से प्यास दूर होती है।
9. कागजी नींबू : कागजी नींबू के रस में 2 चुटकी भर चीनी डालकर पिलाने से प्यास के अधिक लगाने में लाभ होता है।
10. केला :
थोड़ी-थोड़ी देर पर प्यास लगने व पानी पीने के बाद भी प्यास लगे तो इस प्रकार के प्यास में बिना बीज के 4 मुनक्का मिश्री के साथ दिन में 2 से 3 बार लेने से लाभ होता है।
10-20 दाने मुनक्का शाम को पानी में भिगोकर सुबह मसलकर छान लें और उसमें थोड़ा सफेद जीरे का चूर्ण और मिश्री या चीनी मिलाकर पिलाने से पित्तजन्य दाह शांत होती है।
मुनक्का और मिश्री 10-10 ग्राम रोज पीसकर सेवन करने से प्यास के अधिक लगने में लाभ होता है।
10 ग्राम किशमिश 500 मिलीलीटर गाय के दूध में पकाकर ठंडा हो जाने पर रात के समय रोज सेवन करने से जलन शांत होती है।
किशमिश 80 ग्राम, गिलोय का बारीक चूर्ण, जीरा 10-10 ग्राम तथा चीनी 10 ग्राम इन सभी के मिश्रण को चिकने गर्म बर्तन में भरकर उसमें इतना गाय का घी मिलायें कि मिश्रण अच्छी तरह भीग जायें। इसमें से नित्य प्रति 6 से 20 ग्राम तक सेवन करने से एक दो सप्ताह में चेचक आदि विस्फोटक रोग होने के बाद जो दाह शरीर में हो जाती है, वह शांत हो जाती है।
14. बिहीदाना : बिहीदाना 3 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में 1 घंटा भिगो दें। 1 घंटे बाद बिहीदाना को उसी पानी में मसलकर छान लें। इस पानी में खांड मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पिलायें। इससे बार-बार गले का सूखना बंद हो जाता है।
15. सिरका : ठंडे पानी में सिरका मिलाकर पीने से बादी की प्यास मिट जाती है।
16. गिलोय : गिलोय का रस 6 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में कई बार देने से प्यास शांत हो जाती है।
17. प्याज : प्यास अधिक लगने पर प्याज, पोदीना और मिश्री को मिलाकर घोटकर पिलाने से प्यास में लाभ होता है।
18. पीपल :
पीपल की छाल को जलाकर पानी में डाल दें। जब राख नीचे बैठ जाये तो उस पानी को छानकर पिलाने से तेज प्यास शांत हो जाती है।
पीपल का चूर्ण बनाकर खाकर ऊपर से पानी पीने से अधिक प्यास का लगना बंद हो जाता है।
पीपल के ताजे छिलके का रस लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग या सूखे पत्तों का काढ़ा बना लें। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग काढ़ा में 5 से 10 ग्राम चीनी मिलाकर दिन में 3 बार लेने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।
प्यास अधिक लगने पर पानी पीते-पीते पेट फूल जाने पर पीपल का काढ़ा बनाकर पीने से उल्टी होकर आराम हो जाता है।
20. पानी : गर्म पानी में नमक मिलाकर पीने से खुश्की की प्यास ठीक हो जाती है।
21. संतरा: प्यास अधिक लगने पर नारंगी के सेवन से प्यास कम होती है।
22. सोंठ :
सोंठ (सूखी अदरक), जीरा और संचर नमक इन सबको बराबर मात्रा लेकर पीसकर छानकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पानी के साथ खाने से कफज तृष्णा प्यास शांत हो जाती है।
सोंठ और जवाखार को मिलाकर कूटकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ खाने से बदले हुए प्यास का असर मिट जाता है।
सोंठ, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, खस, लालचंदन, सुगन्धबाला इन सबको बराबर मात्रा में लेकर बने काढ़े को थोड़ा-थोड़ा पीने से बुखार तथा प्यास शांत होती है। यह उस रोगी को देना चाहिए जिसे बुखार में बार-बार प्यास लगती है।
25 ग्राम सौंफ को 250 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रखें। 1 घंटे बाद भिगोये हुए पानी को छानकर 1-1 घूंट पीने से तीव्र (तेज) प्यास मिटती है।
पित्त ज्वर (बुखार), कफबुखार और मलेरिया बुखार में अधिक प्यास लगने पर बार-बार पानी पीने पर भी प्यास न बुझती हो और शरीर के भीतर गर्मी और जलन हो रही हो तो सौंफ को पानी में भिगोकर पीने से प्यास और बुखार की जलन मिटती है और घबराहट जल्द दूर होती है।
25. सेब : सेब का रस पानी में मिलाकर पीने से प्यास कम लगती है। जिन्हे वायु विकार हो, उन्हें यह प्रयोग लाभकारी नहीं होगा।
26. उदुम्बर के पत्ते :
28. दूध : ताजा दूध 100 से 500 मिलीलीटर पाचन क्षमता के अनुसार पीने से तेज प्यास दूर होती है।
29. चकोतरा : चकोतरे का रस थोड़ा सा पानी मिलाकर पीने से जलन व प्यास शांत होती है और बुखार भी उतर जाता है।
30. चावल : चावल का काढ़ा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग दिन में 2 से 3 बार खाने से प्यास शांत होती है।
31. फालसा : पके फालसों के रस में पानी मिलाकर पीने से तृषा (प्यास) का रोग दूर होता है।
32. तरबूज : तरबूज खाने से प्यास लगना कम हो जाता है। तरबूज के रस में मिश्री को मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से रोग में अधिक लाभ होता है।
33. तुलसी :
तुलसी के 25 पत्ते पीसकर एक गिलास पानी में घोल लें। इसमें स्वादानुसार मिश्री और नींबू निचोड़ लें। इसे पिलाने से किसी रोग में यदि प्यास अधिक लग रही हो तो लाभ मिलता है। प्यास कम लग रही हो तो भी लाभ होता है।
तुलसी के पत्तों को पीसकर 1 गिलास पानी में मिलाकर इस पानी में नीबू निचोड़कर व मिश्री मिलाकर पिलाने से प्यास कम लगती है।
35. जामुन :
37. जौ :
39. नमक :
नींबू का शर्बत पीने से प्यास शांत होती है।
नींबू को 1 गिलास पानी में निचोड़कर पीने से तेज प्यास का लगना बंद हो जाता है।
गर्मी में नींबू के रस को शीतल (ठंडे) पानी में मिलाकर, चीनी डालकर शिकंजी बनाकर पीने से गर्मी नष्ट होती है और प्यास शांत होती है।
नींबू की पत्ती को मिट्टी में मिलाकर गोली बना लें। इस गोली को आग में पकाकर 1 गिलास पानी में डालकर बुझाएं। फिर उस पानी को कपड़े से छानकर पिलायें। इससे बुखार व अन्य रोगों में लगने वाली प्यास मिटती है और गले का सूखना बंद हो जाता है।
प्यास अधिक लगने पर नीम के पत्तों का शर्बत बनाकर पीने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।
कड़वे नीम की छाल, धनिया, सोंठ और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर 20 ग्राम की मात्रा बना लें। इसे 375 मिलीलीटर पानी में डालकर पकायें। आधा पानी रह जाने पर उतारकर ठंडा कर पीने से पित्त की प्यास बुझ जाती है।
नीम के पत्तों को मिट्टी में मिलाकर गोला बनाकर आग में जला दें। लाल होने पर एक बर्तन में पानी भरकर उस पानी में गोला को बुझाकर उस पानी को पीने से तेज प्यास भी शांत हो जाती है।
नीम की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से कफ के कारण लगने वाली प्यास शांत हो जाती है।
43. नारियल :
नारियल की जड़ों को जलाकर गर्म पानी में डालकर रख दें। ठंडे हो जाने पर छानकर देने से ज्वर (बुखार) में प्यास का लगना दूर होता है।
नारियल की जटा (रेशा) जलाकर पानी में बुझा लें। फिर इस पानी को अच्छे से मिलाकर व छानकर पिलायें। इससे गले का सूखापन दूर होता है।
नारियल का पानी पीने से भी गले का सूखना व तेज प्यास लगना बंद हो जाता है।
45. नागरमोथा : नागरमोथा, पित्तपापड़ा, उशीर (खस), लाल चंदन, सुगन्धबाला, सौंठ आदि पदार्थो को पीसकर काढ़ा बना लें और ठंडे पानी के साथ बीमार व्यक्ति को देने से प्यास और ज्वर की प्यास में शांति मिलती है।
46. अंजीर : बार-बार प्यास लगने पर अंजीर का सेवन करने से लाभ होता है।
47. अमरूद :
49. आम :
51. आलूबुखारा: आलूबुखारे को मुंह में रखने से प्यास कम लगती है तथा गले का सूखना बंद हो जाता है।
52. अतीस :
अतीस का 10 ग्राम चूर्ण एक लीटर पानी में इतना उबालें कि उसकी 800 मिलीलीटर के लगभग मात्रा बच जाए। इसे ठंडा करके छान लें। बुखार की अवस्था में, गर्मी की अधिकता से, दस्त लगने, हैजा के रोग में जब बार-बार प्यास लगे, तो उपरोक्त बने पानी को पिलाने से कष्ट में राहत मिलेगी।
अतीस और घुड़बच का काढ़ा रोगी को देने से लाभ होता है।
55. गुड़ : गुड़ का शर्बत पीने से गरिष्ठ भोजन की प्यास दूर हो जाती है।
56. गुड़ूची : ताजे गुड़ूची का रस निकालकर लगभग 7 से 14 मिलीलीटर पीने से किसी भी प्रकार के रोगों में प्यास लगना कम हो जाता है।
57. गुलकन्द :
गूलर की छाल अथवा कच्चे फल को पानी में घिसकर पिलाने से बुखार से या अन्य किसी कारण से लगने वाली प्यास बंद होती है।
गूलर के कच्चे फलों को पीसकर और छानकर पानी के साथ पीने से किसी भी प्रकार से बढ़ी हुई प्यास शांत हो जाती है।
गूलर के पके फलों का रस अथवा काढ़ा बनाकर पिलाने से पित्तज के कारण उत्पन्न तेज प्यास शांत हो जाती है।
60. लौंग :
बुखार या हैजा में प्यास अधिक लगने पर दो लौग को 250 मिलीलीटर पानी में 10 मिनट तक उबालें। इस उबले पानी को 60 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में तीन बार लें या तेज प्यास में 10-15 मिनट पर घूंट-घूंट करके पानी पीयें।
प्यास की तीव्रता होने पर 2 गिलास उबले हुए पानी में 3 लौंग डालकर पानी को ठंडा करके पिलाने से प्यास कम हो जाती है।