प्यास अधिक लगना pyas adhik lagna



प्यास अधिक लगना

        प्यास (तृष्णा) एक रोग है जो अत्यधिक प्यास से उत्पन्न होता है। अत्यधिक परिश्रम करने पर या बुखार होने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर में पानी की कमी होने पर पानी की कमी को दूर करने के लिए प्यास लगती है जिसे प्यास (तृष्णा) कहते हैं।परिचय :

प्यास का वेग रोकने से उत्पन्न होने वाले रोग :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी

तास, प्यास

अंग्रेजी

पोली डिपसीमा, एक्सेसीव थस्ट

अरबी

पियाह

बंगाली

तृष्णा

गुजराती

पियास

कन्नड़ी

वायरिके

मलयालम

तृक्ष्णा

मराठी

तहाना

उड़िया

शोष

पंजाबी

पयासरोग

तमिल

निरवेटकइ

तेलगू

दुप्पी
        क्रोध एवं शोक आदि कारणों से पित्त तथा वायु की अधिक वृद्धि हो जाने के कारण पानी बहाने वाले स्रोत दूषित हो जाते हैं, जिसके कारण तेज प्यास लगती है। उपवास, धातुक्षय, मद्यपान, शोक, क्रोध, भय, परिश्रम, अग्निताप, अजीर्ण, आघात लगना, पित्तवर्धक पदार्थो का सेवन, दो दाल, कुल्थी आदि खाने पर तथा ज्वर (बुखार) के कारण भी प्यास अधिक लगती है।
        इस रोग में सिर में चुभन जैसी पीड़ा होती है। मुंह सूख जाना तथा जबड़े में पीड़ा होना वातज तृष्णा (प्यास) के लक्षण हैं। पित्त के कारण प्यास लगने पर भूख मिट जाती है, मुंख में तीखा (तिक्तता), गले में जलन तथा शरीर में सूखापन का अनुभव होने लगता है। इस प्रकार के रोग में शीतल (ठंडी) वस्तु अच्छे लगते हैं और रोगी में मूर्च्छा आदि के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। नींद का अधिक आना, मुंह में मिठास और क्षीणता (चिड़चिड़ापन) बढ़ जाना आदि कफज तृष्णा (प्यास) के लक्षण हैं। क्षयज तृष्णा (प्यास) होने पर रोगी को अधिक पानी पीने के बाद भी संतोष नहीं होता है। आमज तृष्णा (प्यास) में हृदय के आस-पास पीड़ा रहती है और बेचैनी उत्पन्न होने लगती है।
1. धनिया : हरा धनिया और सूखा आंवला को मिलाकर चटनी बनाकर प्रतिदिन खाने से गले का सूखना व प्यास का अधिक लगना दूर हो जाता है।
2. खुरफे : खुरफे के बीजों को 10 ग्राम पानी के साथ पीस व छानकर खांड मिलाकर पिलाने से प्यास की तीव्रता कम हो जाती है।
3. शहद :
4. इमली :
5. इलायची : 12 छोटी इलायची के छिलके को 1 गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर इसके चार हिस्से करके हर 2-2 घण्टे पर पिलाने से प्यास अधिक नहीं लगेगी। किसी भी बीमारी में यदि प्यास अधिक हो तो ठीक हो जाती है।
6. बबूल : प्यास और जलन में इसकी छाल के काढ़े में मिश्री मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे लाभ होता है।
7. बरगद : बरगद की कोंपलों के साथ दूब, घास, लोध्र, अनार की फली और मुलेठी बराबर में लेकर, एक साथ पीसकर शहद में मिलाकर चावलों के धोवन के साथ सेवन करने से उल्टी और प्यास में शांति मिलती है।
8. बारतग : प्यास ज्यादा लगने पर बारतग के 5 ग्राम बीज पानी के साथ सेवन करने से प्यास दूर होती है।
9. कागजी नींबू : कागजी नींबू के रस में 2 चुटकी भर चीनी डालकर पिलाने से प्यास के अधिक लगाने में लाभ होता है।
10. केला :
11. मुनक्का :
12. किशमिश :
13. मुलहठी : मुलहठी में शहद मिलाकर सूंघने से तेज प्यास खत्म हो जाती है तथा थोड़े-थोड़े देर पर लगने वाली प्यास मिट जाती है।
14. बिहीदाना : बिहीदाना 3 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में 1 घंटा भिगो दें। 1 घंटे बाद बिहीदाना को उसी पानी में मसलकर छान लें। इस पानी में खांड मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पिलायें। इससे बार-बार गले का सूखना बंद हो जाता है।
15. सिरका : ठंडे पानी में सिरका मिलाकर पीने से बादी की प्यास मिट जाती है।
16. गिलोय : गिलोय का रस 6 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में कई बार देने से प्यास शांत हो जाती है।
17. प्याज : प्यास अधिक लगने पर प्याज, पोदीना और मिश्री को मिलाकर  घोटकर पिलाने से प्यास में लाभ होता है।
18. पीपल :
19. पान : पान खाने से प्यास कम लगती हैं।
20. पानी : गर्म पानी में नमक मिलाकर पीने से खुश्की की प्यास ठीक हो जाती है।
21. संतरा: प्यास अधिक लगने पर नारंगी के सेवन से प्यास कम होती है।
22. सोंठ :
23. सौंफ :
24. सोना : गरम सोना, चांदी व गरम ईंट को जिस पानी में बुझाएं उस पानी को पीने से तेज प्यास शांत हो जाती है।
25. सेब : सेब का रस पानी में मिलाकर पीने से प्यास कम लगती है। जिन्हे वायु विकार हो, उन्हें यह प्रयोग लाभकारी नहीं होगा।
26. उदुम्बर के पत्ते :
27. दही : दही में गुड़ मिलाकर खाने से बादी प्यास मिट जाती है तथा भोजन के बाद आने वाले तेज प्यास कम होती है।
28. दूध : ताजा दूध 100 से 500 मिलीलीटर पाचन क्षमता के अनुसार पीने से तेज प्यास दूर होती है।
29. चकोतरा : चकोतरे का रस थोड़ा सा पानी मिलाकर पीने से जलन व प्यास शांत होती है और बुखार भी उतर जाता है।
30. चावल : चावल का काढ़ा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग दिन में 2 से 3 बार खाने से प्यास शांत होती है।
31. फालसा : पके फालसों के रस में पानी मिलाकर पीने से तृषा (प्यास) का रोग दूर होता है।
32. तरबूज : तरबूज खाने से प्यास लगना कम हो जाता है। तरबूज के रस में मिश्री को मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से रोग में अधिक लाभ होता है।
33. तुलसी :
34. जायफल : किसी भी प्रकार के रोग में प्यास अधिक लगने पर जायफल का टुकड़ा मुंह में रखने से लाभ होता है।
35. जामुन :
36. जामुन के पत्ते : जामुन के सूखे पत्तों का काढ़ा बनाकर लगभग 7 से 14 मिलीलीटर काढ़े में 5 से 10 ग्राम चीनी मिलाकर दिन में 3 बार पीने से बुखार में प्यास का लगना कम हो जाता है।
37. जौ :
38. ज्वार : ज्वार की रोटी को छाछ में भिगोकर खाने से प्यास लगना कम होता है। ज्वार की रोटी कमजोर और वात पित्त के रोगी को न देना चाहिए।
39. नमक :
40. नींबू :
41. नीम :
42. नीलोफर : नीलोफर के फूल 20 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में 2 घंटे भिगोने के बाद पानी छानकर थोड़ा-थोड़ा करके दिन में 3 से 4 बार पीयें। इससे अधिक बोलने या गाने के बाद गला सूखने से लगने वाली प्यास खत्म होती है तथा गला सूखता नहीं है।
43. नारियल :
44. नारंगी : प्यास अधिक लगने पर नारंगी खाने से प्यास कम लगती है।
45. नागरमोथा : नागरमोथा, पित्तपापड़ा, उशीर (खस), लाल चंदन, सुगन्धबाला, सौंठ आदि पदार्थो को पीसकर काढ़ा बना लें और ठंडे पानी के साथ बीमार व्यक्ति को देने से प्यास और ज्वर की प्यास में शांति मिलती है।
46. अंजीर : बार-बार प्यास लगने पर अंजीर का सेवन करने से लाभ होता है।
47. अमरूद :
48. आंवला : आंवला और सफेद कत्था मुंह में रखने से प्यास का अधिक लगना ठीक हो जाता है।
49. आम :
50. आमलकी फल : आमलकी फल का चूर्ण 2 से 4 ग्राम को 5 से 10 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 से 3 बार खिलायें। इससे तेज प्यास खत्म होती है।
51. आलूबुखारा: आलूबुखारे को मुंह में रखने से प्यास कम लगती है तथा गले का सूखना बंद हो जाता है।
52. अतीस :
53. अनार :
54. अगर : बुखार होने पर रोगी को बार-बार प्यास लगती हो तो अगर का काढ़ा बनाकर पिलाने से प्यास में आराम मिलता है।
55. गुड़ : गुड़ का शर्बत पीने से गरिष्ठ भोजन की प्यास दूर हो जाती है।
56. गुड़ूची : ताजे गुड़ूची का रस निकालकर लगभग 7 से 14 मिलीलीटर पीने से किसी भी प्रकार के रोगों में प्यास लगना कम हो जाता है।
57. गुलकन्द :
58. गूलर :
59. लीची : लीची गर्मियों के तपन व प्यास को शांत करती है।
60. लौंग :
61. लाल चावल : लाल चावलों का भात ठंडा करके शहद मिलाकर खाने से पुराना तृष्ण (प्यास) रोग मिट जाता है।