डब्बा रोग
रात को सोते समय बच्चे की पसली में दर्द वाला बुखार बना रहना, दूध न पीना तथा बार-बार आंखे बंद करना डब्बा रोग के लक्षण हैं। बच्चों में यह रोग शीत वायु (ठंडी हवा) से और मां के दूध से होता है। इस रोग में मां और बच्चे दोनों को दवा लेनी चाहिए।परिचय :
- 3 ग्राम भुना हुआ हरा-कसीस और 3 ग्राम आधा भुना हुआ सुहागा लेकर बकरी के दूध में पीसकर बाजरे के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसकी एक या दो गोली मां के दूध के साथ बच्चे को देने से पसली चलना रुक जाती है।
- 10-10 ग्राम अपामार्ग, क्षार, नागरमोथा, अतीस, सुहागा और बड़ी हरड़ को थोड़े पानी में मिलाकर बच्चों को चटाने से डब्बा रोग (पसली चलना) समाप्त हो जाता है।
- मदार के पत्ते के 10 बूंद रस में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सैंधानमक मिलाकर पिला देने से उल्दी-दस्त होकर बालकों का डब्बा रोग शीघ्र शांत हो जाता है।
- छोटे बच्चों को जिन्हें कफ, सर्दी ज्यादा हो जाये और कोई भी दवा न दी जा सके (शिशु इतना छोटा हो), तब आक रूई से भरे गद्दे तकिए पर लिटाने से ही बालकों का सर्दी जुकाम दूर हो जाता है।