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बालातिसार एवं रक्तातिसार (INFANTILE DIARRHOEA & BASCALLARY DYSENTERY


बालातिसार एवं रक्तातिसार

हिंदीबच्चों के खूनी दस्त
अंग्रेजीडिसेन्ट्री
असमीरक्तातिसार
बंगालीरक्तातिसार, रक्तामास
गुजरातीलोही ना झाड़ा
कन्नड़मक्कलरक्त भेदी
मलयालमरक्तथिसारम्
मराठीरक्ती जुलाब
उड़ियारक्तनोगा
तमिलरक्थ भेदी
रक्तातिसार के विभिन्न भाषाओं में नाम :

लक्षण :

हिंदी बच्चों के दस्त
अंग्रेजी इन्फेन्टाइल डायरिया
गुजराती बड़को ना झाड़ा
कन्नड़ मक्कल भेदी
पंजाबी बिच्चयां दे दस्त
मराठी बालातिसार
बंगाली बालातिसारम
मलयालम बालातिसारम्
उड़िया बचेर जंड
असमी बालातिसार
तमिल कुझन्डइ बेधी

विभिन्न औषधियों से उपचार-

1. अजवायन : अजवायन का 1 चम्मच रस रोजाना दो बार देने से दस्त में काफी लाभ होता है।
2. नागरमोथा : लगभग 3 से 6 ग्राम इन्द्रयव को नागरमोथा के साथ काढ़ा बनाकर और उसमें शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बच्चों का रक्तातिसार (खूनी दस्त) दूर हो जाता है।       
3. शहद : लगभग 1 से 3 ग्राम तेजपत्ता का चूर्ण बच्चों को शहद और अदरक के रस के साथ देने से बच्चों के पेट के सभी रोगों में आराम आता है।
4. लाभज्जक : `लाभज्जक´ का काढ़ा 1 से 2 चम्मच सुबह-शाम बच्चों को देने से पाचन क्रिया ठीक हो जाती है। पैखाना (दस्त) पहले की तरह ठीक से आने लगता है।
5. गूलर : बच्चों के अतिसार (दस्त), रक्तातिसार (खूनी दस्त), वमन (उल्टी) और कमजोरी में गूलर का दूध 10 बूंद सुबह-शाम दूध में मिलाकर देने से पूरा लाभ होता है।
6. जामुन : बच्चों के अतिसार (दस्त) में जामुन की छाल का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम बकरी के दूध के साथ देने से लाभ होता है।
7. सोंठ :
8. तूनी : बच्चों का अतिसार (दस्त) चाहे कितना भी पुराना क्यों न हो, 10 से 15 ग्राम तुन (तूनी) वृक्ष के डाल का चूर्ण गर्मकर सुबह-शाम को देने से आराम आ जाता है।
9. शहद : बेल की मज्जा, धातकीपुष्प, सुगंधवाला प्रकन्द, लोध्र छाल और गजपिप्पली को बराबर लेकर उसका चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण को शहद के साथ दिन में 2 से 3 बार लेना चाहिए।
10. जामुन : आम्रातक, जामुन का फल और आम के गूदे के चूर्ण को बराबर मात्रा में शहद के दिन में 3 बार बच्चों को नियमित सेवन करवाने से बच्चों के दस्त सम्बंधी रोग समाप्त हो जाते हैं।
11. आम : लगभग 12 ग्राम बेल का चूर्ण और आम के गूदे को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबाल लें और जब काढ़ा 125 मिलीलीटर रह जाये तो बाकी बचे काढ़े को दिन में 2 या 3 बार बच्चों को देना चाहिए। इससे बच्चों के दस्त सम्बंधी रोग समाप्त हो जाते हैं।