बालाक्षेप, बालग्रह (INFANTILE CONVULSION)


बालाक्षेप, बालग्रह

    बचपन में स्नायुतंत्र (नर्वस सिस्टम) बहुत ही नाजुक होता है जो बहुत ही जल्दी उत्तेजित हो जाता है। यह उत्तेजना ही आक्षेप (कंपन, ऐंठन, बेहोशी का दौरा) के रूप में प्रकट होता है। यह अक्सर चोट लगने के कारण, पेट में कीड़े होने के कारण और बच्चों के दांत निकलते समय होता है। यह एक दौरे के रूप में आता है। यह आक्षेप (बेहोशी का दौरा) बचपन में ही होता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है यह रोग अपने आप दूर हो जाता है। इसलिए इसे बालाक्षेप कहते हैं।परिचय :  

1. शहद : लगभग 1 से 3 ग्राम तेजपत्ता के चूर्ण को शहद और अदरक के साथ चटाने से बच्चों के सभी रोगों में लाभ होता है।
2. एलुआ : लगभग 1-1 ग्राम कुन्दुर एलुआ, जुन्दवेस्तर लेकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। यह 1 गोली रोजाना मां के दूध के साथ खिलाने से बच्चे को लाभ होता है।
3. सरसों : 125 मिलीलीटर सरसों का तेल गर्म कर लें। जब तेल गर्म हो जाए तब उसके अंदर 4 ग्राम असली सिन्दूर डालकर किसी लकड़ी की डंडी से चलाते रहें। जब पकने के बाद तेल का रंग गुलाबी सा हो जाए तो 6 ग्राम कालीमिर्च बारीक पीसकर डाल दें। फिर इसे 2-3 बार लकड़ी से चलाकर उतार लें। तेल ठण्डा होने पर छानकर रख लें। आक्षेप ग्रसित बच्चे को सुबह, दोपहर और शाम सिर के ब्रहमतालू पर (जहां नवजात शिशु के सिर का भाग पूरा मुलायम होता है) इस तेल की मालिश करें। इसे लगाने के 2-3 दिन बाद ही बच्चे को दौरे आना कम हो जाएंगे।
4. लौंग : 20 लौंग को एक कपडे़ में बांधकर बच्चे के गले में ताबीज की तरह बांधने से दौरा आना कुछ ही समय में बंद हो जायेगा।
5. अकरकरा : अकरकरा को धागे में बांधकर बच्चे को गले में पहनाने से मिर्गी और आक्षेप आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
6. दांत : भेड़िये के दांतों को धागे में बांधकर बच्चे के गले में पहनाने से दौरे पड़ना बंद हो जाता है।