मलेरिया का बुखार
सावधानी : बरसात के दिनों में नालियों, गड्डों आदि में पानी इकट्टा न होने दें क्योंकि मच्छर इस गंदे पानी में ही अडें देते हैं। रोगाणुनाशक दवाओं जैसे- डी. डी. टी, बी. एच. सी. पाउडर, नीम या तम्बाकू का घोल या मिट्टी के तेल को सीलनभरी दीवारों, पोखरों, तालाबों, और नालियों में छिड़क दें। रोगी को पानी उबालकर पिलाना चाहिए और पत्ते वाली सब्जियां नहीं खाने को देनी चाहिए।maler
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. तुलसी :
2. करंजुआ : 5 ग्राम करंजुआ के बीजों को पीसकर बनी छोटी-छोटी गोली को बुखार आने से 2 घण्टे पहले और बुखार जाने के 2 घण्टे बाद पानी के साथ दिन में 2 बार लेने से लाभ मिलता है।
3. ढाक : 10 ग्राम ढाक के बीजों की गिरी और 10 ग्राम करंजवा के बीजों के गिरी को पानी में घिसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सुखा लें। बुखार आने के 4 घण्टे पहले यह 1 गोली पानी के साथ लेने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता है।
4. जीरा :
5. प्याज : आधा प्याज का टुकड़ा लेकर उसके रस में एक चुटकी कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह और शाम में पीने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता है।
6. हरड़ : 10 ग्राम हरड़ के चूर्ण को 100 मिलीलीटर पानी में पकाकर काढ़ा बना ले। यह काढ़ा दिन में 3 बार पीने से मलेरिया रोग में फायदा होता है।
7. चकोतरा :
8. चिरायता :
9. नमक :
10. नारंगी : 2 नारंगी के छिलके को 2 कप पानी में उबाल लें। पानी आधा रहने पर छानकर गर्म-गर्म पीनें से मलेरिया के बुखार में लाभ मिलता है।
11. सेब : बुखार में सेब खाने से बुखार जल्दी ठीक होता है। मलेरिया बुखार आने के पहले सेब खाने से बुखार आने के समय बुखार नहीं आता है।
12. अमरूद :
13. शहद : 20 ग्राम शुद्ध शहद, आधा ग्राम सेंधानमक और आधा ग्राम हल्दी को पीसकर गर्म पानी में डालकर रात को पीने से बुखार और जुकाम ठीक हो जाता हैं।
14. नीम :
14. पित्तपापड़ा : 6 ग्राम पित्तपापड़ा और 3 ग्राम धनिया को एकसाथ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से पुराने बुखार में शान्ति मिलती है।
15. हारसिंगार : हारसिंगार के 7-8 पत्तों के रस, अदरक रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।
16. कंटकरंज : कंटकरंज के बीजों का चूर्ण लगभग आधा ग्राम से लेकर 1 ग्राम की मात्रा में कालीमिर्च के साथ सुबह और शाम लेने से मलेरिया, शीतज्वर, सविराम, अविराम आदि बुखार नष्ट हो जाते हैं। ध्यान रहें कि इसे खाली पेट न लें।
17. रोहिनी (मांस रोहिनी) : रोहिनी की छाल का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार देने से या इसका काढ़ा 28 मिलीलीटर को रोजाना 3 बार सेवन करने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता हैं।
18. महाबला : महाबला की जड़ और सोंठ को मिलाकर काढ़ा बनाकर रख लें। इस काढ़े को 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में लेने से मलेरिया के बुखार में लाभ मिलता है।
19. चिरईगोड़ा : चिरईगोडा़ (मिजुरगोरवा) के 50 ग्राम ताजे या छाया में सुखायें पत्तों को लगभग 1 लीटर पानी में 10 से 15 मिनट तक अच्छी तरह से धीमी आग पकाने के लिए रख दें। इसी काढ़े में चीनी मिलाकर चाय की तरह रोजाना दिन भर में मलेरिया के रोगी को 240 मिलीलीटर की मात्रा में पिलाने से लाभ पहुंचता है। ध्यान रहें कि इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें।
20. भुईआंवला : भुई आंवला के पंचांग (तना, पत्ती, फल, फूल और जड़) का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता है।
21. मिर्च :
22. मल्लसिन्दूर : लगभग एक चौथाई से कम मल्लसिन्दूर को तुलसी के पत्ते का रस के साथ सुबह और शाम लेने से मलेरिया का बुखार कम हो जाता है।
23. शिलासिन्दूर: लगभग एक चौथाई से कम की मात्रा में शिलासिन्दूर को 10 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों के रस के साथ बुखार आने से पहले 2-2 घण्टे के अन्तराल पर देने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
24. कूठ : लगभग आधा ग्राम कूठ को घी और शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से मलेरिया बुखार में लाभ होता है।
25. श्रंगरहार (परिजात) : श्रंगरहार के पत्तों को यवकुट कर काढ़ा बनाकर सुबह और शाम 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से मलेरिया बुखार में राहत मिलती है।
26. धनिया :
27. पीपल : पीपल के 3 पत्तों को पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से श्वास (दमा), खांसी के साथ मलेरिया बुखार भी ठीक होता है।
28. छाछ : छाछ पीने से हर चौथे दिन आने वाला मलेरिया का बुखार ठीक होता है।
29. लहसुन :
30. मुलेठी : 10 ग्राम छिली हुई मुलेठी, 5 ग्राम खुरासानी अजवाइन तथा थोड़े से सेंधानमक को एकसाथ मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से मलेरिया का बुखार दूर होता है।
31. आक :
32. अड़ूसा (बाकस) : अड़ूसा की जड़ की छाल को आधा ग्राम से 1 ग्राम या पत्ते के चूर्ण लगभग 1 चौथाई से कम की मात्रा में सुबह और शाम शहद के साथ सेवन करने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
33. शीतभज्जी : लगभग एक चौथाई शीतभज्जी का रस, पान के रस व शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता है।
34. गोदन्ती : लगभग एक चौथाई से कम की मात्रा में गोदन्ती और इतनी की मात्रा में शुद्ध स्फटिका को एकसाथ मिलाकर मलेरिया का बुखार आने से पहले 2 घंटे पहले लेने से बुखार नहीं चढ़ता है।
35. जवाखार : 3 ग्राम जवाखार और 3 ग्राम पीपल को पीसकर गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। सुबह और शाम 1-1 गोली को गर्म पानी से लेने से मलेरिया का बुखार उतर जाता है।
36. कपूरचूरा : 5 ग्राम कपूरचूरा को पानी से सेवन करने से मलेरिया के कारण लगने वाली ठंड़ उतर जाती है।
37. हींग : 2 ग्राम हींग को 2 ग्राम गुड़ में मिलाकर सुबह और शाम लेने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
38. सफेद कत्था : 10 ग्राम सफेद कत्था और 6 ग्राम मल्लसिन्दूर को एकसाथ मिलाकर पीस लें। फिर इसे नीम के रस में घोटकर उड़द के रूप में गोलियां बना लें। बुखार आने से 1 घण्टे पहले यह गोली लेने से जवानों का बुखार उतर जाता है। ध्यान रहें की यह गोली बच्चों और गर्भवती स्त्रियों को नहीं लेनी चाहिए।
39. गुड़ : 10 ग्राम गुड़ और 3 ग्राम कालाजीरा को एक साथ मिलाकर दिन में 4 बार 2-2 घण्टे के अन्तराल से 2-3 ग्राम की मात्रा में खाने से मलेरिया का बुखार नहीं होता है।
40. गिलोय :
41. बेल : बेल के पत्ते का रस 7 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह और शाम लेने से मलेरिया के बुखार में लाभ मिलता है।
42. नाड़ी हिंगु (डिकामाली) : आधा से 2 ग्राम नाड़ी हिंगु को गर्म पानी मे घोलकर, छान लें। इस घोल को सुबह और शाम लेते रहने से नियतकालिक बुखार में आने वाला कंपन कम हो जाता है।
43. कुटकी : 5 से 10 ग्राम कुटकी के चूर्ण को शहद के साथ सुबह और शाम लेने से नियतकालिक बुखार नष्ट होता है।
44. इन्द्रायव : इन्द्रायव के भूने हुए चूर्ण को 1 से 4 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से पर्यायिक और शीत बुखार कम हो जाता है। इसका काढ़ा गुर्च (गिलोय) के साथ बनाकर लेने से लाभ होता है।
45. मैनफल : मैनफल का गूदा, लौंग और दालचीनी के साथ लेने से 1 से 2 ग्राम की मात्रा में लेने से पारी से आने वाले बुखार में लाभ होता हैं। ध्यान रहें कि इसका अधिक सेवन करने से उल्टी (वमन) हो सकती है।
46. सत्यानाशी (पीला धतूरा) : पीला धतूरा का दूध 1 से 2 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम नींबू के रस के साथ घोटकर पीने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता हैं।
47. भारंगी (बभनेटी) : बभनेटी के पत्तों की सब्जी बनाकर खिलाने से मलेरिया के रोगी को बुखार से छुटकारा मिलता है।
48. आकड़ा : आकड़े के फूल की दो डोडी (बिना खिले फूल) को जरा-से गुड़ में लपेटकर मलेरिया ज्वर आने से पहले खाने से मलेरिया ज्वर नहीं चढ़ता है।
49. दूब हरी : मलेरिया ज्वर में दूब के रस में अतीस के चूर्ण को मिलाकर दिन में 2-3 बार चाटने से, पारी से चढ़ने वाले मलेरिया ज्वर में लाभ मिलता है।
50. फिटकरी :
51. कलौंजी : आधा चम्मच पिसी हुई कलौजी को 1 चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से चौथे दिन आने वाला बुखार ठीक हो जाता है।
52. अजवाइन : मलेरिया बुखार के बाद हल्का-हल्का बुखार रहने लगता है। इसके लिए 10 ग्राम अजवाइन को रात में 100 मिलीलीटर पानी में भिगों दें और सुबह पानी गुनगुना करके जरा सा नमक डालकर कुछ दिन तक सेवन करने से बुखार मे आराम होता हैं।
53. नींबू :
54. अमरूद :
55. भांग : शुद्ध भांग का चूर्ण 1 ग्राम, गुड़ 2 ग्राम, दोनों को मिलाकर 4 गोलियां बना लेते हैं। जाड़े का बुखार दूर करने के लिए 1-2 गोली 2-2 घंटे के अन्तर से दें या शुद्ध भांग की 1 ग्राम गोली बुखार में 1 घंटा पहले देने से बुखार का वेग कम हो जाता है।
56. श्योनाक-
57. अपामार्ग : अपामार्ग के पत्ते और कालीमिर्च को बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर मटर के दानों के बराबर की गोलियां तैयार कर लें। जब मलेरिया फैल रहा हो, उन दिनों यह 1-1 गोली सुबह-शाम भोजन करने के बाद नियमित रूप से सेवन करने से मलेरिया के बुखार का शरीर पर आक्रमण नहीं होगा। इन गोलियों का 2-4 दिन सेवन करना पर्याप्त होता है।
58. बैंगन : कोमल बैंगन को अंगारों पर सेंककर रोजाना सुबह के समय खाली पेट गुड़ के साथ खाने से मलेरिया बुखार से तिल्ली बढ़ जाने में और उसके कारण शरीर पीला पड़ जाने में लाभ होता है।
59. अतीस : 1 ग्राम अतीस के चूर्ण और 2 कालीमिर्च के चूर्ण को एकसाथ मिलाकर दिन में 3-4 बार पानी से सेवन करने से मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है।
60. आयापान :
मलेरिया का बुखार ठंड़ लगकर आता है। इस बुखार में रोगी के शरीर का तापमान 101 से 105 डिग्री तक बना रहता है। यह एक प्रकार का संक्रामक बुखार हैं जो कि पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे दिन पर ठंड़ लगकर आता है और फिर पसीना आकर उतर आता है। इस मलेरिया बुखार की तीन अवस्थाएं होती हैं। पहली- कंपकंपी के साथ बुखार आता है और अन्त में पसीना आकर बुखार उतर जाता है। यह मलेरिया बुखार के लक्षण माने जाते हैं। इसमें रोगी के जिगर और तिल्ली आदि बढ़ जाते हैं। यह एनोफिलीस नामक मादा मच्छरों के द्वारा फैलता है।परिचय :
कारण :
लक्षण :
परहेज :सावधानी : बरसात के दिनों में नालियों, गड्डों आदि में पानी इकट्टा न होने दें क्योंकि मच्छर इस गंदे पानी में ही अडें देते हैं। रोगाणुनाशक दवाओं जैसे- डी. डी. टी, बी. एच. सी. पाउडर, नीम या तम्बाकू का घोल या मिट्टी के तेल को सीलनभरी दीवारों, पोखरों, तालाबों, और नालियों में छिड़क दें। रोगी को पानी उबालकर पिलाना चाहिए और पत्ते वाली सब्जियां नहीं खाने को देनी चाहिए।maler
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. तुलसी :
काली तुलसी या मरूवे के 4 पत्ते, बबूल के 4 पत्ते, काली मिर्च 4 पीसी तथा अजवाचन 1 ग्राम को एकसाथ पीसकर पकाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े के ठंड़ा हो जाने पर बुखार चढ़ने से पहले पिलाने से बच्चों का मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
तुलसी के 15 पत्ते, 10 काली मिर्च और 2 चम्मच चीनी को एक कप पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े की 3 खुराक दिन में 3 बार लेने से मलेरिया बुखार में लाभ मिलता है।
तुलसी के 10 पत्ते, 5 ग्राम करंज की गिरी, 10 दाने काली मिर्च तथा 5 ग्राम जीरे आदि को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। दिन में 3 बार इन 2-2 गोलियों का सेवन करने से मलेरिया में लाभ होता है।
10 ग्राम तुलसी के पत्ते और 7 कालीमिर्च को पानी में पीसकर सुबह और शाम लेते रहने से मलेरिया बुखार ठीक होता है।
तुलसी के 22 पत्ते और 20 पिसी हुई कालीमिर्च को 2 कप पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी चौथाई भाग रह जाये तब इसमें मिश्री मिलाकर ठंड़ा करके पीने से मलेरिया बुखार में लाभ होता है।
तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च को एकसाथ मिलाकर सेवन करने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता है।
तुलसी के पत्तों को प्रतिदिन सेवन करने से मलेरिया नहीं होता है। यदि मलेरिया हो जाए तो बुखार उतरने पर सुबह के समय तुलसी के 15 पत्ते और 10 कालीमिर्च खाने से मलेरिया बुखार दुबारा नहीं होता है।
तुलसी के सेवन से सभी प्रकार के बुखारों में लाभ होता है। 20 तुलसी के पत्ते, 10 कालीमिर्च और 1 चम्मच शक्कर का काढ़ा मिलाकर सेवन करने से मलेरिया बुखार में लाभ होता है।
गुड़, कालीमिर्च तथा तुलसी का काढ़ा बनाकर नींबू के रस मिलाकर दिन में 3-3 घंटे के अन्तराल से गर्म-गर्म पीना चाहिए। इसके बाद रोगी को कम्बल ओढ़ा देना चाहिए। ऐसा करने से मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है।
3. ढाक : 10 ग्राम ढाक के बीजों की गिरी और 10 ग्राम करंजवा के बीजों के गिरी को पानी में घिसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सुखा लें। बुखार आने के 4 घण्टे पहले यह 1 गोली पानी के साथ लेने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता है।
4. जीरा :
1 चम्मच जीरे को पीसकर 10 ग्राम गुड़ में मिला दें। इसकी 3 खुराक बनाकर बुखार चढ़ने से पहले, सुबह, दोपहर और शाम को पीने से मलेरिया का बुखार नहीं चढ़ता है।
1 चम्मच बिना सेंका हुआ जीरा लेकर पीस लें। इसको 3 गुना गुड़ में मिलाकर 3 गोलियां बना लें। निश्चित समय पर ठंड़ लगकर आने वाले मलेरिया के बुखार के आने से पहले 1-1 घण्टे के बीच 1 गोली खाएं। कुछ दिन रोजाना इन गोलियों का प्रयोग करने से मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
काला जीरा, एलुआ, सोंठ, कालीमिर्च, बकायन के पेड़ की निंबौली तथा करंजवे की मींगी को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर दिन में 3-3 घण्टे के अन्तराल में 1-1 गोली खाने से मलेरिया का बुखार उतर जाता है।
6. हरड़ : 10 ग्राम हरड़ के चूर्ण को 100 मिलीलीटर पानी में पकाकर काढ़ा बना ले। यह काढ़ा दिन में 3 बार पीने से मलेरिया रोग में फायदा होता है।
7. चकोतरा :
10 ग्राम सेंधानमक और 40 ग्राम देशी चीनी (बूरा) को मिलाकर बारीक पीस लें। इस चूर्ण को आघा चम्मच रोजाना 3 बार गर्म पानी से लेने से मलेरिया बुखार आना बन्द हो जाता है।
5 चम्मच सेंधानमक को तब तक भूनें जब तक वह भूरे रंग का न हो जायें। इस 1 चम्मच नमक को 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर दिन में 1 बार रोजाना मलेरिया बुखार आने से पहले पीने से लाभ होता हैं। ध्यान रहें कि बुखार आने पर इसका सेवन न करें।
11. सेब : बुखार में सेब खाने से बुखार जल्दी ठीक होता है। मलेरिया बुखार आने के पहले सेब खाने से बुखार आने के समय बुखार नहीं आता है।
12. अमरूद :
13. शहद : 20 ग्राम शुद्ध शहद, आधा ग्राम सेंधानमक और आधा ग्राम हल्दी को पीसकर गर्म पानी में डालकर रात को पीने से बुखार और जुकाम ठीक हो जाता हैं।
14. नीम :
20 ग्राम नीम की जड़ की छाल को कूटकर लगभग 150 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मटकी में रात को भिगोकर सुबह पका लें। यह 40 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर छानकर इसी प्रकार रात में या दिन में 3 बार पीने से मलेरिया बुखार में आराम मिलता है।
50 ग्राम नीम की जड़ की और बीच की छाल को यवकूट कर 600 मिलीलीटर पानी 18 मिनट तक उबाल कर छान लें। जब रोगी को बुखार चढ़ रहा हो तो इसे 40 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में 2 से 3 बार पिलाने से मलेरिया का बुखार रुक जाता है।
मलेरिया के बुखार में नीम के तेल की 5-10 बूंदों को दिन मे 1 या 2 बार सेवन करना चाहिए।
60 ग्राम नीम के हरे पत्ते और 4 कालीमिर्च को पीसकर 125 मिलीलीटर पानी में उबालकर और छानकर पीने से मलेरिया ठीक हो जाता है।
नीम के पत्ते, निंबौली, कालीमिर्च, तुलसी, सोंठ और चिरायता को बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास पानी में डालकर इतना उबाल लें कि आधा पानी उड़ जाए। फिर इस पानी को छानकर 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से मलेरिया का बुखार मिट जाता है।
नीम के कोमल पत्तों में आधा ग्राम फिटकरी भस्म मिलाकर कूट लें। फिर इसकी आधा-आधा ग्राम की गोलियां बना लें। यह 1-1 मिश्री के शर्बत के साथ लेने से मलेरिया में लाभ मिलता है।
नीम के थोडे़-से पत्तों और 8 से 10 कालीमिर्च लेकर 1 कप पानी में डालकर उबाल लें। पानी जब आघा कप बचे तो इसे दिन में 2 बार लेने से मलेरिया का बुखार मिट जाता है।
60 ग्राम नीम के हरे पत्ते और 4 कालीमिर्च को मिलाकर पीस लें। फिर इसे 125 मिलीलीटर पानी में डालकर छानकर रोगी को पिलाने से मलेरिया बुखार ठीक हो जाता है।
नीम की 5 पत्तियां, तुलसी के 5 पत्ते और 1 चम्मच नींबू के रस को एकसाथ मिलाकर चटनी बनाकर सुबह और शाम खाने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
10 ग्राम नीम की छाल, 10 ग्राम सूखा धनिया, 10 ग्राम सोंठ का चूर्ण तथा 5 तुलसी के पत्तों को एकसाथ पीसकर काढ़ा बनाकर दिन में 4 बार लेने से मलेरिया बुखार में लाभ होता है।
नीम की छाल के काढ़े में धनिया ओर सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।
नीम की आंतरिक छाल का चूर्ण 2 से 4 ग्राम, धनिया, सोंठ, लौंग, दालचीली या मिर्च को चिरायता और कुटकी के साथ सुबह और शाम लेने से मलेरिया, विषम, सविराम, शोथयुक्त (सूजन के साथ) आदि बुखार में लाभ होता है।
15. हारसिंगार : हारसिंगार के 7-8 पत्तों के रस, अदरक रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।
16. कंटकरंज : कंटकरंज के बीजों का चूर्ण लगभग आधा ग्राम से लेकर 1 ग्राम की मात्रा में कालीमिर्च के साथ सुबह और शाम लेने से मलेरिया, शीतज्वर, सविराम, अविराम आदि बुखार नष्ट हो जाते हैं। ध्यान रहें कि इसे खाली पेट न लें।
17. रोहिनी (मांस रोहिनी) : रोहिनी की छाल का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार देने से या इसका काढ़ा 28 मिलीलीटर को रोजाना 3 बार सेवन करने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता हैं।
18. महाबला : महाबला की जड़ और सोंठ को मिलाकर काढ़ा बनाकर रख लें। इस काढ़े को 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में लेने से मलेरिया के बुखार में लाभ मिलता है।
19. चिरईगोड़ा : चिरईगोडा़ (मिजुरगोरवा) के 50 ग्राम ताजे या छाया में सुखायें पत्तों को लगभग 1 लीटर पानी में 10 से 15 मिनट तक अच्छी तरह से धीमी आग पकाने के लिए रख दें। इसी काढ़े में चीनी मिलाकर चाय की तरह रोजाना दिन भर में मलेरिया के रोगी को 240 मिलीलीटर की मात्रा में पिलाने से लाभ पहुंचता है। ध्यान रहें कि इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें।
20. भुईआंवला : भुई आंवला के पंचांग (तना, पत्ती, फल, फूल और जड़) का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता है।
21. मिर्च :
3 लालमिर्च को डंठल सहित पानी में पीसकर बायें हाथ की अनामिका अंगुली में लपेटकर, मलमल के कपड़े से बांध लें। कपड़े पर पानी डालते रहें ताकि गीला रहें। इस विधि को बुखार आने से कम से कम 2 घण्टे पहले करने से मलेरिया का बुखार नहीं आता है।
कालीमिर्च का चूर्ण तुलसी के रस और शहद में मिलाकर पीने से मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है।
3 ग्राम कालीमिर्च, 3 ग्राम करंज की मींग (गिरी) और 3 ग्राम संहालू के हरे पत्तों को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। बुखार आने से पहले से यह 1-1 गोली ताजे पानी से 4-4 घण्टे बाद लेने से बुखार में लाभ मिलता है।
कालीमिर्च को तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर 7 भावना (उबाल) देकर सुखा लें। फिर उसकी मटर के बराबर गोलियां बना लें। बुखार आने के 4 घण्टे पहले हर 1-1 घण्टे बाद यह 4 गोलियां खाने से बुखार नहीं चढ़ता है।
7 कालीमिर्च और प्याज से प्राप्त 50 मिलीलीटर रस को सुबह और शाम लेने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
1 हरी मिर्च के बीज को निकालकर बुखार आने के 2 घण्टे पहले अंगूठे में पहना कर बांध दें। इसी प्रकार इसे 2 से 3 बार बांधने से मलेरिया बुखार आना बन्द हो जाता हैं। हरी मिर्च बांधने से जलन होती है। ध्यान रहें कि जितनी देर तक सहन हों तो बांधे रखें फिर खोल दें।
23. शिलासिन्दूर: लगभग एक चौथाई से कम की मात्रा में शिलासिन्दूर को 10 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों के रस के साथ बुखार आने से पहले 2-2 घण्टे के अन्तराल पर देने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
24. कूठ : लगभग आधा ग्राम कूठ को घी और शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से मलेरिया बुखार में लाभ होता है।
25. श्रंगरहार (परिजात) : श्रंगरहार के पत्तों को यवकुट कर काढ़ा बनाकर सुबह और शाम 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से मलेरिया बुखार में राहत मिलती है।
26. धनिया :
धनिया और सौंठ को पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रोजाना दिन में 3 बार पानी से फंकी लेने से बुखार में राहत मिलती है।
आधा चम्मच पिसा हुआ धनिया, आधा चम्मच सोंठ, आधा चम्मच अजवाइन और चुटकीभर सेंधानमक को मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दिन में 3 बार प्रयोग करने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
धनिया और सोंठ को बराबर की मात्रा में पीसकर आधा-आधा चम्मच खुराक के रूप में रोजाना 3 बार खाने से ठंड़ देकर आने वाला बुखार मिट जाता है।
28. छाछ : छाछ पीने से हर चौथे दिन आने वाला मलेरिया का बुखार ठीक होता है।
29. लहसुन :
लहसुन की 3 से 4 कलियों को छीलकर घी में मिलाकर खाने से मलेरिया की ठंड उतर जाती है।
अगर मलेरिया का बुखार सही समय पर आता हो तो लहसुन का रस हाथ पैरो के नाखूनों पर बुखार के आने से पहले लेप करें और 1 चम्मच लहसुन का रस 1 चम्मच तिल के तेल में मिलाकर जब तक बुखार न आए 1-1 घण्टे के बाद में जीभ पर लगाकर चूसें। इस तरह यह प्रयोग 3 से 4 दिन तक करने से मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
31. आक :
33. शीतभज्जी : लगभग एक चौथाई शीतभज्जी का रस, पान के रस व शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता है।
34. गोदन्ती : लगभग एक चौथाई से कम की मात्रा में गोदन्ती और इतनी की मात्रा में शुद्ध स्फटिका को एकसाथ मिलाकर मलेरिया का बुखार आने से पहले 2 घंटे पहले लेने से बुखार नहीं चढ़ता है।
35. जवाखार : 3 ग्राम जवाखार और 3 ग्राम पीपल को पीसकर गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। सुबह और शाम 1-1 गोली को गर्म पानी से लेने से मलेरिया का बुखार उतर जाता है।
36. कपूरचूरा : 5 ग्राम कपूरचूरा को पानी से सेवन करने से मलेरिया के कारण लगने वाली ठंड़ उतर जाती है।
37. हींग : 2 ग्राम हींग को 2 ग्राम गुड़ में मिलाकर सुबह और शाम लेने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
38. सफेद कत्था : 10 ग्राम सफेद कत्था और 6 ग्राम मल्लसिन्दूर को एकसाथ मिलाकर पीस लें। फिर इसे नीम के रस में घोटकर उड़द के रूप में गोलियां बना लें। बुखार आने से 1 घण्टे पहले यह गोली लेने से जवानों का बुखार उतर जाता है। ध्यान रहें की यह गोली बच्चों और गर्भवती स्त्रियों को नहीं लेनी चाहिए।
39. गुड़ : 10 ग्राम गुड़ और 3 ग्राम कालाजीरा को एक साथ मिलाकर दिन में 4 बार 2-2 घण्टे के अन्तराल से 2-3 ग्राम की मात्रा में खाने से मलेरिया का बुखार नहीं होता है।
40. गिलोय :
गिलोय का 5 अंगुल लम्बा टुकड़ा और 15 कालीमिर्च को मिलाकर और कूटकर 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब यह पानी लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में रह जाए तो इसे छानकर पीने से मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है।
गिलोय (गुरूच) के काढ़े या रस में छोटी पीपल और शहद को मिलाकर 40 से 80 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सेवन करने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता हैं।
42. नाड़ी हिंगु (डिकामाली) : आधा से 2 ग्राम नाड़ी हिंगु को गर्म पानी मे घोलकर, छान लें। इस घोल को सुबह और शाम लेते रहने से नियतकालिक बुखार में आने वाला कंपन कम हो जाता है।
43. कुटकी : 5 से 10 ग्राम कुटकी के चूर्ण को शहद के साथ सुबह और शाम लेने से नियतकालिक बुखार नष्ट होता है।
44. इन्द्रायव : इन्द्रायव के भूने हुए चूर्ण को 1 से 4 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से पर्यायिक और शीत बुखार कम हो जाता है। इसका काढ़ा गुर्च (गिलोय) के साथ बनाकर लेने से लाभ होता है।
45. मैनफल : मैनफल का गूदा, लौंग और दालचीनी के साथ लेने से 1 से 2 ग्राम की मात्रा में लेने से पारी से आने वाले बुखार में लाभ होता हैं। ध्यान रहें कि इसका अधिक सेवन करने से उल्टी (वमन) हो सकती है।
46. सत्यानाशी (पीला धतूरा) : पीला धतूरा का दूध 1 से 2 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम नींबू के रस के साथ घोटकर पीने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता हैं।
47. भारंगी (बभनेटी) : बभनेटी के पत्तों की सब्जी बनाकर खिलाने से मलेरिया के रोगी को बुखार से छुटकारा मिलता है।
48. आकड़ा : आकड़े के फूल की दो डोडी (बिना खिले फूल) को जरा-से गुड़ में लपेटकर मलेरिया ज्वर आने से पहले खाने से मलेरिया ज्वर नहीं चढ़ता है।
49. दूब हरी : मलेरिया ज्वर में दूब के रस में अतीस के चूर्ण को मिलाकर दिन में 2-3 बार चाटने से, पारी से चढ़ने वाले मलेरिया ज्वर में लाभ मिलता है।
50. फिटकरी :
1 ग्राम फिटकरी को 2 ग्राम चीनी में मिलाकर मलेरिया का बुखार आने से 2-2 घंटे पहले लेने से मलेरिया का बुखार नहीं आएगा और आएगा तो भी कम। फिर जब दूसरी बार भी मलेरिया का बुखार आने वाला हो तब इसी प्रकार से दे सकते हैं। ध्यान रहें कि रोगी को कब्ज नहीं होना चाहिए और यदि कब्ज हो तो पहले कब्ज को दूर करें।
1 ग्राम फिटकरी को फूले बताशे में डालकर मलेरिया बुखार आने से 2 घण्टे पहले रोगी को खिलाने से बुखार कम चढ़ता हैं।
1 ग्राम खाण्ड और 2 ग्राम भुनी फिटकरी को एकसाथ मिलाकर दिन में 2 बार पीने से मलेरिया बुखार में लाभ होता है।
फूली हुई फिटकरी के चूर्ण में 4 गुना पिसी हुई खांड या चीनी को अच्छी तरह मिलाकर रख लें। इसे 2 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ एक दिन में 3 बार लेने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
52. अजवाइन : मलेरिया बुखार के बाद हल्का-हल्का बुखार रहने लगता है। इसके लिए 10 ग्राम अजवाइन को रात में 100 मिलीलीटर पानी में भिगों दें और सुबह पानी गुनगुना करके जरा सा नमक डालकर कुछ दिन तक सेवन करने से बुखार मे आराम होता हैं।
53. नींबू :
नींबू के 2 भाग कर लें। इसके पहले भाग में पिसी हुई कालीमिर्च और सेंधानमक भरकर तथा दूसरे भाग में मिश्री भरकर दोनों को गर्म करके चूसने से और वर्षा ऋतु के बाद आने वाला आन्त्रज्वर (टायफाइड), पित्तवमन आदि दूर हो जाते हैं।
बुखार आने से 2 घण्टे पहले कालीमिर्च, नमक और फिटकरी को बराबर मात्रा में पीसकर आधे नींबू पर लगाकर चूसें। नींबू को गर्म किये बिना दूसरा आधा टुकड़ा इसी प्रकार एक घण्टे के बाद चूसने से मलेरिया बुखार और मौसमी बुखार भी ठीक हो जाता हैं।
एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीने से बुखार का ताप गिर जाता है। 2 नींबू को काटकर 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर पानी आधा शेष रह जाने पर छान लें। फिर इसमें 2 ग्राम सेंधानमक मिलाकर इसी प्रकार 2-3 दिन तक लगातार एक दिन मे 3 बार पीने करने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता हैं। ध्यान रहें कि इस औषधि के प्रयोग के समय भोजन न करें।
नींबू के रस को तेज कहवा में बिना दूध मिलाये हुए पीने से मलेरिया का बुखार दूर होता है।
नींबू और गन्ने का रस पीने से मलेरिया के बुखार में बहुत लाभ होता हैं।
आधे नींबू पर कालीमिर्च और कालानमक का चूर्ण लगाकर धीरे-धीरे चूसने से मलेरिया का बुखार दूर होता है।
आधे नींबू के रस में 4 चम्मच पानी और चीनी को मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से 3-4 दिन में ही मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
नींबू में नमक और कालीमिर्च को भरकर दिन में 2 बार चूसने से मलेरिया का बुखार उतर जाता है।
2 नींबू के छिलको के रस को 500 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी की हांडी या स्टील के भगोने (बर्तन) में रात को उबालकर आधा रहने पर रख दें। सुबह उठकर इस पानी को पीने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता हैं।
नींबू के रस को पानी में मिलाकर फिर उसमें इच्छानुसार चीनी मिलाकर पीने से मलेरिया बुखार 4 दिन में आना बन्द हो जाता हैं। कुनेन खाने से कानों में सांय-सांय की आवाज हो तो यह भी इससे ठीक हो जाती हैं। कुनेन के साथ नींबू और दूध का भी प्रयोग कर सकते हैं।
56. श्योनाक-
श्योनाक की लकड़ी का छोटा सा प्याला बना लें। रात को इसमें पानी रखकर और सुबह के समय उठकर इस पानी को पीने से नियतकालिक बुखार, एकान्तरा, तिजारी, चौथियां आदि के जहरीले बुखारों का नाश होता है।
श्योनाक, शुंठी, बेल के फल की गिरी, अनारदाना, अतीस को बराबर मात्रा में लेकर यवकूट कर लें। इसमें से 10 ग्राम औषधि, 500 लीटर पानी में उबालें। जब यह पानी 125 मिलीलीटर की मात्रा में जब बच जाये तब इसे छानकर सुबह, दोपहर तथा शाम को पीने से सब तरह के बुखार व अतिसार नष्ट हो जाते हैं।
58. बैंगन : कोमल बैंगन को अंगारों पर सेंककर रोजाना सुबह के समय खाली पेट गुड़ के साथ खाने से मलेरिया बुखार से तिल्ली बढ़ जाने में और उसके कारण शरीर पीला पड़ जाने में लाभ होता है।
59. अतीस : 1 ग्राम अतीस के चूर्ण और 2 कालीमिर्च के चूर्ण को एकसाथ मिलाकर दिन में 3-4 बार पानी से सेवन करने से मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है।
60. आयापान :
आयापान के 20 ग्राम पंचाग को 400 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालते हैं। जब यह पानी एक चौथाई की मात्रा में शेष रह जाता है तो इसे ठंड़ा कर लेते हैं। इस पानी को 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम पीने से मलेरिया बुखार में लाभ होता है।- आयापान के पत्ते का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से मलेरिया बुखार मिट जाता है।