बच्चों को होने वाले प्रमुख रोग"
बच्चों को होने वाले प्रमुख रोग
3. कान का दर्द :
4. आंखों का लालीपन :
5. आंखों का फूला : लगभग 1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी, 1 ग्राम भुना हुआ सुहागा, 1 ग्राम तूतिया, 1 ग्राम कचिया और 10 ग्राम मिश्री को एक साथ अच्छी तरह से पीसकर शीशी में भरकर रख लें। इस चूर्ण को थोड़ी सी मात्रा में लेकर सलाई से आंखों में लगाने से आंखों का माड़ा-फूली और आंखों से धुंधला दिखाई देना दूर हो जाता है।
6. बच्चों के दस्त :
7. बच्चों के पेट को साफ करना :
8. बच्चों के फोड़े :
9. बदहजमी :
10. बच्चों की उल्टी की चिकित्सा :
11. जिगर बढ़ने पर : दो चावल भर नौसादर जितनी उम्र हो उतनी मात्रा के हिसाब से हर रोज दूध में मिलाकर पिला दें। इससे बच्चे का जिगर नहीं बढ़ेगा।
12. नाभि की सूजन और पकने की चिकित्सा :
13. बालकों की प्यास की अधिकता :
14. बालकों की हिचकी की चिकित्सा
15. बच्चों का सूखा रोग :
16. गुदापाक की चिकित्सा :
17. कुकूणक रोग की चिकित्सा : हरड़, बहेड़ा, आमला, लोध, पुनर्नवा (साठी), अदरक, कटेरी और कटाई को पानी में पीसकर थोड़ा-थोड़ा गर्म करके हल्का-हल्का पलकों पर लेप करने से कुकूणक रोग समाप्त हो जाता है।
18. बच्चों का अफारा और वात की चिकित्सा : सेंधानमक, सोंठ, हींग और भारंगी का चूर्ण बनाकर उसमें घी मिलाकर खाने से बच्चों के पेट का अफारा (पेट में मरोड़ होना), और बादी (गैस) का दर्द मिट जाती है।
19. विसर्प की चिकित्सा :
20. मसूरिका शीतला (माता) : सागौन के बीजों को सकोरे में भरकर कपड़ मिट्टी करके अदहरे में रखकर राख बना दें। फिर उस राख को निकालकर शीशी में भरकर रख लें। यह राख मसूरिका (शीतला) को शमन करने वाला है। 1 साल के बच्चे को आधा ग्राम से कम, 2 साल के बच्चे को आधा ग्राम, 3 से 5 साल तक के बच्चे को आधा ग्राम से कुछ अधिक यह राख शहद या मां के दूध के साथ दें। यदि फरवरी-मार्च के महीने में बच्चों को खिला दें तो पूरे साल शीतला (माता) निकलने का डर नहीं रहता। यदि शीतला (माता) निकली हो तो भी यह दवा खिला दें। इससे बुखार व शीतला (माता) दूर हो जाती हैं।
21. बच्चों के कांच निकलने पर : अगर बच्चे को कांच की बीमारी हो तो पोस्त, अनार शीरी और हब्बुलास या गुलनार को पानी में डालकर गर्म करके उस पानी से आबदस्त करायें या बालशूलांक पिलायें। यह बच्चों की बहुत उपयोगी औषधि है।
22. नहारू : कड़वे नीम के पत्तों को पीसकर लेप करने से नहारू ठीक हो जाता है।
23. फुंसियां : नीम की छाल को घिसकर पानी में मिलाकर लगाने से फुंसियां दूर होती है।
कड़वे नीम के बीजों को पीसकर पानी में मिलाकर सिर पर लगाने से `जूं´ समाप्त हो जाती है।
24. कान से मवाद आना : अगर कान में मवाद आयें तो फिटकरी और माजूफल को पीसकर शहद में मिलाकर बत्ती बना लें। इस बत्ती को कान में रखने से आराम आता है।
25. फोड़े : कड़वे नीम के पत्तों को पीसकर उन्हें शहद में मिलाकर लगाने से फूटे हुए फोड़े का बहना बंद हो जाता है।
26. नाभि की सूजन : मिट्टी के ढेले को आग में गर्म करके दूध में बुझा लें फिर उससे नाभि पर गर्म-गर्म सिंकाई करें। इससे `नाभि की सूजन´ दूर हो जाती है।
27. सूजन : नागरमोथा, पेठे के बीज, देवदारू तथा इन्द्रजौ को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर पिलाने से बच्चों की `सूजन´ दूर हो जाती है।
28. होंठ फटना : घी में नमक मिलाकर रोजाना दिन में दो से तीन बार नाभि पर लगाने से होठों का फटना दूर हो जाता है।
29. कान में कीड़ा घुसने पर : मकोय के पत्तों का रस कान में डालने से कान में घुसा हुआ कीड़ा मर जाता है।
30. बच्चे द्वारा मिट्टी खा लेने पर : पके हुए केले को शहद में मिलाकर खिलाने से `बच्चों के पेट की मिट्टी´ निकल जाती है।
31. आंखों की जलन : केसर को पीसकर शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से `आंखों की जलन´ दूर होती है।
32. फोड़ा : आंवलों की राख घी में मिलाकर फोडें पर लेप करने से `फोड़ा´ ठीक हो जाता है।
33. सांस फूलना :
34. पेट फूलना : तुलसी और पान का रस समान मात्रा में गर्म करके पिलाने से बच्चों के दस्त साफ आते हैं, इससे पेट फूलना तथा अफारा भी ठीक हो जाता है।
35. हडि्डयों को मजबूत बनाने के लिए: बादाम में चूना, लोहा, फॉस्फोरस ज्यादा पाया जाता है जो बच्चों की हड्डियों को मजबूत करता है। दूध पीने वाले बच्चों के लिए रात को एक बादाम भिगो दें। सुबह बादाम को पीसकर दूध में मिलाकर बच्चे को पिला दें। जहां तक हो सके बच्चों को दवाइयां नहीं देनी चाहिए। हडि्डयों को मजबूत करने के लिए खाने-पीने की सामान्य चीजों से ही चिकित्सा करनी चाहिए।
36. दांत निकलने पर :
37. खांसी :
38. मुंह के छाले :
39. मूत्रघात :
40. बुखार :
41. अंडकोष वृद्धि :
42. पेट दर्द :
43. दूध न पचना :
44. बच्चे का तालु लटकना :
45. यकृत बढ़ना : लगभग 3 से 6 मिलीलीटर मूली का ताजा रस यवक्षार तथा शहद के साथ दिन में 2 बार देने से बाल रोग और यकृत-प्लीहा-वृद्धि के रोग में आराम मिलता हैं।
46. बच्चों के पेट में कीड़े :
47. जुकाम : राई के तेल से पैरों और तलवों की मालिश करने से सिर की ठंड और जुकाम एक रात में खत्म हो जाती है। नाक में इसके तेल को रगड़ने से नाक बहना भी दूर हो जाता है।
48. कब्ज :
49. सर्दी:
बच्चों के डिब्बा रोग (पसली चलना) में इसकी जड़ के 1 ग्राम चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सेंधानमक मिलाकर गर्म पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ मिलता है। 50. पसली चलना :
गूलर के दूध का गाढ़ा लेप बच्चे के गाल पर लगाने से बच्चों के गाल की सूजन दूर हो जाती है। 51. बच्चों के गाल की सूजन :
52. नारू (कीड़ा) : अखरोट की खाल को जल के साथ महीन पीसकर आग पर गर्म कर नहरुआ की सूजन पर लेप करके उस पर पट्टी बांधकर खूब सेंक देने से नारू 10-15 दिन में गलकर बह जाता है।
53. निमोनिया : नीलाथोथा, भुना सुहागा को भूनकर 5 ग्राम शहद में मिलाकर उड़द की आधी दाल जैसी गोलियां बनाकर सुखा दें। 1-1 गोली सुबह माता के दूध में गोली घिसकर देने से बच्चे का निमोनिया ठीक होकर दस्त, उल्टी और दूध का गिरना आदि रोग दूर हो जाते हैं।
54. गंजापन और बाल झड़ने पर-
55. ताकत :
56. पेशाब रोग में :
57. बच्चों के मुंहस्राव की चिकित्सा :
58. खुजली :
59. हैजा : अतीस को कूटकर रात्रि में दस गुने पानी में भिगो दें, सुबह-सुबह पकायें, जब शहद जैसा गाढ़ा हो जाये या गोलियां बनाने लायक हो जाये तो आधे-आधे ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। हैजे में तीन-तीन गोली एक-एक घण्टे के अन्तर से तथा प्लेग में तीन-तीन गोली दिन में बार-बार खिलायें।
60. दमा : काला अंगूर, अडूसा, हरड़ और पीपल का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर 3 से 5 दिन तक बच्चों को चटाने से बच्चों के श्वास (दमा) और तमक श्वास में आराम होता है।
61. पेशाब की जलन :
62. ज्यादा प्यास लगने पर : पीपल, मुलहठी, जामुन और आम के पत्तों को एक साथ पीसकर शहद में मिलाकर बच्चे को चटाने से प्यास नहीं लगती है। गुलबनफ्सा का शर्बत और गुलाब का शर्बत भी प्यास को बुझाता है।
63. अनिद्रा : चुटकी भर पीपल की लाख को थोड़े से दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों के दर्द और नींद न आने (अनिंद्रा) का रोग दूर हो जाता है।
64. बालकों का भयभीत होकर रोना :
65. दांत रोग : धाय के फूल और पीपल के चूर्ण को शहद में मिलाकर दांत और मसूढ़ों की जड़ में मलने से दांतों के रोग दूर हो जाते हैं।
67. जीभ का फटना : तरबूजे की मींगी (बीज) को पानी में पीसकर होठों अथवा जीभ पर मलने से `होठ तथा जीभ का फटना` ठीक हो जाता है।
Common children diseases
जन्म के बाद और मरने से पहले जिस प्रकार आत्मा शरीर से जुड़ी होती है उसी प्रकार रोग भी शरीर से जुड़े होते हैं। रोग जन्म से पहले भी उत्पन्न हो सकते हैं जो वंशानुगत या वीर्यदोष के कारण हो जाते हैं। इनका उपचार बहुत ही कठिन होता है।परिचय :
जन्म के बाद होने वाले समान्य रोगों से बच्चे को बचाया जा सकता है। इसके लिये माताओं को काफी ध्यान रखना पड़ता है जैसे दूध पिलाने से पहले स्तनों को साफ करना, ज्यादा गर्म (मसालेदार-भोजन) खाना खाने से बचना, जन्म के बाद बच्चे को अपना पहला गाढ़ा-पीला दूध पिलायें, 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही बच्चे को पिलायें, सही समय पर पूरे टीके लगवायें, बच्चे की हर छोटी से छोटी क्रिया पर ध्यान रखें, सर्दी-जुकाम से बचें, 6 महीने के बाद बच्चे को पौष्टिक आहार दें, बच्चे की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें आदि।
इसके अलावा अगर छोटे बच्चों को रोग हो जाते हैं तो कभी भी किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी चाहिए बल्कि चिकित्सक द्वारा पूर्ण उपचार करवाना चाहिए।
1. पसली का दर्द :
2. पसली चलना :
- छोटे बच्चों की पसली चलने पर अफीम को गर्म करके लेप करें अफीम न मिलने पर सूअर की चर्बी भी पिला सकते है।
- लगभग 1-1 ग्राम गुलबनफसा, गुल नीलोफर, गुलाब के फूल, मकोय, उन्नाव, लिसौड़ा, मुनक्का, 10 ग्राम गुलकन्द और 3 ग्राम अमलतास के गूदे को लगभग 90 मिलीलीटर पानी में मिला लें और उबलने के लिए रख दें। उबलने पर जब पानी आधा रह जाये, तब इसे पानी में ही अच्छी तरह से मलकर छान लें। फिर इसमें मिश्री मिलाकर दिन में 2-4 बार पिलाएं और 10 मिलीलीटर प्याज के रस में 3 ग्राम एलुआ को गर्म करके बच्चे की पसलियों पर लेप करें। इससे बच्चा जल्दी ठीक हो जायेगा।
- बच्चे के पेट पर एरण्डी का तेल मलकर, उसके ऊपर बकायन की पत्तियां गर्म करके बांधने से `डब्बे का रोग´ (पसली का रोग) दूर हो जाता है।
- सरसों के तेल में 4-5 लहसुन की कलियां और मटर के दाने के बराबर हींग डालकर पका लें। यह तेल कर्ण शूल (कान के दर्द) को जल्दी दूर करता है।
- शराब की 3-4 बूंदे गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है।
- सिरसा के पत्तों के रस को गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है।
- 3 बूंदे तारपीन के तेल की कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है।
- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लाल फिटकरी को प्याज के रस में गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है।
- कान में दर्द हो तो पोदीना का रस डालें या हरी मकोय का रस कान में डालें।
- लगभग 3-3 ग्राम फिटकरी, सेंधानमक और मिश्री को उबाले हुए पानी में मिलाकर शीशी में भर लें। इस रस को गर्मी की वजह से आई हुई आंख में डालने से बहुत लाभ होता है। यह रस आंखों का लालपन भी दूर कर देता है।
- अफीम, भुनी हुई हल्दी, भुना हुआ सुहागा को उबाले हुए पानी में मिलाकर घोल बना लें। इस घोल की 4 बूंद आंखों में डालने से सर्दी में आई हुई आंख का दर्द, आंखों का सूजना और लाल होना दूर हो जाता है।
- यदि बच्चे की आंख दुखती हो तो रसौत को घिसकर लेप करें तथा इसके काजल का प्रयोग करें।
6. बच्चों के दस्त :
- मंजीठ, धाय के फूल, सिरवाली (सरिवा) और पठानी लोध्र को मिलाकर उसका काढ़ा बना लें। इस काढे़ को ठंडा करके उसके अन्दर शहद मिलाकर पिलाने से बच्चों का अतिसार (दस्त) ठीक हो जाता है।
- बायविडंग, अजमोद और पीपल या चावल के दानों का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पिलाने से बच्चों का आमातिसार (आंव-मरोड़ी के दस्त) ठीक हो जाता है।
- अतिसार और आमातिसार (ऑवयुक्त दस्त) में दो ग्राम अतीस के चूर्ण की फंकी देकर 8 घण्टे तक पानी में भिगोई हुई दो ग्राम सौंठ को पीसकर पिलाने से लाभ होता है। जब तक अतिसार नहीं मिटे तब तक नित्य देना चाहिए।
- धाय के फूल, लोध्र, बेलगिरी, नागरमोथा, मंजीठ और नेत्रवाला को मिलाकर काढ़ा बनाकर पिलाने से अथवा इन सबको पीसकर-छानकर इसके चूर्ण को शहद में मिलाकर चटनी की तरह चटाने से बच्चों का अतिसार पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
- बेलगिरी, धाय के फूल, नेत्रवाला, लोध्र और गजपीपल का काढ़ा बना लें जब यह काढ़ा ठंडा हो जाए तो उसमें शहद मिलाकर बच्चों को पिलायें। इससे अतिसार (दस्त) में लाभ मिलता है।
- सोंठ, अतीस, नागरमोथा, सुगन्धवाला और इन्द्रजौ को मिलाकर काढ़ा बनाकर सुबह-सुबह पिलाने से बच्चों के सभी तरह के दस्त बंद हो जाते हैं। इसको `नागरादि´ काढ़ा भी कहते हैं। यह बच्चों के अतिसार (बच्चों के दस्त) में बहुत लाभकारी होता है।
- लज्जालु, धाय के फूल, लोध्र और सारिवा को मिलाकर उसका काढ़ा बना लें। इसके बाद इसमें शहद मिलाकर बच्चों को दें। इससे पतले दस्त आना बंद होते हैं।
- मोचरस, लज्जावती की जड़ और कमल की केसर को मिलाकर तीनों को मिलाकर लगभग 10 ग्राम इकट्ठा कर लें और 10 ग्राम चावल भी लें। इसे 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर बच्चे को खिलाने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) में आराम आ जाता है।
- धान की खीलें, मुलेठी, खांड और शहद को एक साथ मिलाकर चावलों के पानी के साथ बच्चों को पिलाने से बच्चों का प्रवाहिका रोग ठीक हो जाता है।
- धनिया, अतीस, काकड़ासिंगी और गजपीपल को मिलाकर इनका चूर्ण बनाकर शहद के साथ मिलाकर चटाने से बच्चों के अतिसार (दस्त) और वमन (उल्टी) रोग समाप्त हो जाते हैं।
- सुगन्धबाला, मिश्री और शहद को मिलाकर चावलों को पानी के साथ पिलाने से बच्चों के सभी तरह के अतिसार (दस्त), प्यास, वमन (उल्टी) और बुखार समाप्त हो जाते हैं।
- सफेद कमल के केसर को पीसकर उसमें मिश्री और शहद को मिलाकर चावलों के पानी के साथ पिलाने से बच्चों का प्रवाहिका रोग समाप्त हो जाता है।
- बेल की जड़ का काढ़ा बनाकर उसमें खीलों का चूर्ण और मिश्री डालकर सेवन करना चाहिए। इससे बच्चों की उल्टी और दस्त में लाभ मिलता है।
- कुलिंजन को घिसकर छाछ में मिलाकर और उसमें थोड़ी सी हींग डालकर कढ़ी बना लें और बच्चों को खिलायें। इससे बच्चों का अतिसार (दस्त) रोग समाप्त हो जाता है।
- एक से डेढ़ ग्राम काकड़ासिंगी का चूर्ण शहद के साथ चाटने से बच्चों का अतिसार (दस्त) रोग ठीक हो जाता है।
- थोड़े से प्याज के रस में बाजरे के बराबर अफीम घोलकर देने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- यदि बच्चे को हरे दस्त आते हैं तो नरकचूर को पीसकर मां अपने दूध में मिलाकर बच्चे को सुबह और रात को पिलायें इससे हरे दस्त बंद हो जाते हैं।
- सफेद जीरा, बीज निकाला हुआ मुनक्का, हरा पोदीना और कालानमक को मिलाकर बारीक पीस लें और बच्चे को दिन में तीन से चार बार चटाएं इससे दस्त ठीक हो जाता है।
- प्याज के थोड़े से रस में बाजरे के बराबर अफीम घोलकर पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- हींग को पानी में घोलकर गुदा में लगाने से बच्चों के गुदा मार्ग से कीड़े खत्म हो जाते हैं या नीम के तेल से भी बहुत जल्दी आराम आ जाता है।
- अगर खूनी दस्त हो तो तुख्मे और लुआव रेशा खत्मी पिलायें।
- छोटे बच्चों को दस्त हो तो गर्म दूध में चुटकी भर पिसी हुई दालचीनी मिलाकर पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- छोटे बच्चों की नाभि पर साबुन के साथ घृतकुमारी के गूदे का लेप करने से दस्त साफ हो जाते हैं।
- गूलर के दूध की 5-6 बूंदें शक्कर के साथ बच्चे को देने से बच्चों के आंव (दस्त) बंद हो जाते हैं।
- बच को जलाने से प्राप्त कोयले की लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग राख पानी में घोलकर बच्चों को पिलाने से बच्चों का अतिसार समाप्त हो जाता है।
- खस के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। इसे आधा चम्मच की मात्रा में 3 बार खाने से दस्त खत्म हो जाते हैं।
- कुलंजन की जड़ की गांठ को पत्थर पर छाछ के साथ घिसकर थोड़ा-सा हींग मिलाकर, हल्का गरम करके बच्चों को आधा चम्मच चटाने से बच्चों के अतिसार में लाभ होगा।
- लगभग 6 ग्राम एलुवा, 6 ग्राम उसारी रेवन्द, 2 ग्राम हींग को भूनकर पानी के साथ पीसकर मूंग के बराबर की छोटी-छोटी गोली बनाकर रख लें। इस एक गोली को मां के दूध में मिलाकर पिलाने से बच्चे के पेट में जमा हुआ दूध दस्त के साथ बाहर निकल जायेगा।
- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भुना हुआ सोहागा और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग उसारा रेवन्द को दूध के साथ पिलाने से दस्त साफ हो जाते हैं।
- दिन में तीन बार बच्चे को एक-एक उंगली शहद चटाएं। इससे बच्चों की पाचनशक्ति ठीक हो जाती है।
- आधा ग्राम भुना हुआ सुहागा मां के दूध में मिलाकर सुबह पिलाएं। इससे बच्चों का पेट फूलना ठीक हो जायेगा।
- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भुनी हुई हींग मां के दूध में मिलाकर दें। इससे पेट दर्द ठीक हो जायेगा।
- सेंधानमक, सोंठ, हींग तथा भारंगी इन सबको मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को घी के साथ बच्चों को खिलाने से `अफारा´ और `बादी´ का दर्द दूर होता है।
- बदहजमी होने पर कभी-कभी रात को बच्चे उठकर रोने लगते हैं। इसके लिए बच्चे को शहद चटायें तथा सौंफ और पोदीना मिलाकर पिलाएं।
- कुटकी को बारीक पीसकर और छानकर शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की बहुत पुरानी उल्टी और हिचकी ठीक हो जाती है।
- कुटकी का चूर्ण, मिश्री और शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों के ज्वर (बुखार) में लाभ मिलता है। सिर्फ शहद में मिलाकर चटाने से (उल्टी) और हिचकी बंद हो जाती है।
- आम की गुठली, धान की खीलें और सेंधानमक का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की दूध की वमन (दूध की उल्टी) बंद हो जाती है।
- बेर के पत्ते, चौंगरे के पत्ते, मकोय के पत्ते और कैथ के पत्तों को एक साथ पीसकर इनके चूर्ण को बच्चों के सिर पर लेप करने से बच्चे की वमन (उल्टी) और अतिसार (दस्त लगना) में लाभ मिलता है।
- पीले गेरु को बारीक पीसकर बिजौरे नींबू के रस में मिलाकर चटाने या पिलाने से बालकों की वमन (उल्टी) बंद हो जाती है। इसे सोनागेरु भी कहते हैं। इस नुस्खे से खांसी में आराम हो जाता है।
- लगभग 5-5 ग्राम कांकड़ासिंगी, अतीस, छोटी पीपल को पीसकर आधा ग्राम दिन में तीन बार शहद के साथ देने से बच्चों की उल्टी ठीक हो जाती है।
- लगभग 5-5 ग्राम नागरमोथा, अतीस, काकड़ासिंगी को पीसकर आधा ग्राम शहद में मिलाकर बच्चे को दिन में तीन बार देने से उल्टी ठीक हो जाती है।
- पीपल, कालीमिर्च, शहद और नींबू का रस मिलाकर चटाने से बच्चों की उल्टी और हिचकी बंद हो जाती है।
- पीपल और मुलेठी को बारीक पीसकर शहद और मिश्री के साथ मिलाकर बिजौरा नींबू के रस के साथ सेवन करने से बच्चों की हिचकी और वमन (उल्टी) दूर हो जाती है।
- मुलेठी और पीपल को पीसकर, बिजौरे नींबू के रस में मिलाकर चटाने से या पिलाने से बच्चों की वमन (उल्टी) बंद हो जाती है।
- छोटी कटेरी के फलों का रस, बड़ी कटेरी के फलों का रस, पीपल, पीपरामूल, चव्य, चीता और सोंठ को मिलाकर चटाने से बच्चों को दूध पीने के बाद होने वाली उल्टी (दूध की उल्टी) ठीक हो जाती है।
- जब बच्चों को दूध नहीं पचता हो, दुग्ध पान करते ही उल्टी और दस्त आते हों तो ऐसी दशा में उनका दूध बंद करके थोड़े-थोड़े समय बाद सेब का रस पिलाने से उल्टी और दस्तों में आराम आ जाता है। पुराने दस्तों और मरोड़ लगकर होने वाले वयस्कों के दस्तों में भी फायदेमंद है। यह खून के दस्तों को भी बंद करता है। दस्तों में सेब बिना छिलके वाला होना चाहिए। दस्तों में सेब का मुरब्बा भी फायदेमंद है। सेब के छिलके उतारकर छोटे-छोटे टुकड़े करके दूध में उबालें। इस दूध का आधा कप हर घंटे के बीच पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- सोनागेरू को शहद में मिलाकर बच्चों को चटाने से भी उल्टी और हिचकी दूर हो जाती है।
12. नाभि की सूजन और पकने की चिकित्सा :
- मिट्टी के ढेले को आग में गर्म करके और फिर उसे दूध में ठंडा करके, उससे नाभि पर हल्का-हल्का सिंकाई करने से नाभि (टुण्डी) की सूजन समाप्त हो जाती है।
- हल्दी, घोघ, फूलप्रियंगू और मुलेठी को पानी में पीसकर लुग्दी सी बना लें और पीछे कलईदार बर्तन में काले तिल का तेल और लुगदी मिलाकर तेल पका लें। इस तेल को नाभि पर धीरे-धीरे लगाने और इन्ही चारों दवाओं को बारीक पीसकर लगाने से नाभि-पाक (टुण्डी का पकना) में आराम हो जाता है।
- चंदन का बारीक बुरादा नाभि (टुण्डी) पर लगाने से नाभि का पकना ठीक हो जाता है।
- बकरी की मींगनी (टट्टी) को जलाकर, उसकी राख नाभि पर लगाने से भी नाभि का पकना दूर हो जाता है।
- अगर नाभि उलट गई हो तो हरा धनिया पीसकर लगाना चाहिए।
- प्रियंगु, रसौत और नागरमोथा- इनको बारीक पीसकर, शहद में मिलाकर चटाने से बालकों की बढ़ी हुई प्यास, वमन (उल्टी) और दस्त आदि रोग ठीक होते हैं।
- अगर बच्चे को सिर्फ बार-बार प्यास लगने का रोग हो तो अनार के दाने, जीरा और नागकेसर को बारीक पीसकर इनके चूर्ण में मिश्री और शहद मिलाकर चटाने से बच्चों की प्यास कम हो जाती है।
- सफेद प्याज को भूनकर बिल्कुल बारीक पीस लें फिर उसमें घी डालकर गोली बना लें और माथे पर लगाकर ऊपर से एरण्ड का ताजा पत्ता रखकर उसे बांध दें। नियमित शाम को वह गोली निकालकर फेंक दें और सिर को बहुत अच्छी तरह से धोकर तलुवे पर गाय का घी लगा दें। साथ ही सफेद प्याज का रस, थोड़ी सी मिश्री और जीरा मिलाकर पिलायें। ऐसा करने से बच्चों का बार-बार प्यास लगने का रोग मिट जाता है।
- कुटकी के चूर्ण को शहद में मिलाकर चटाने से हिचकी बंद हो जाती है।
- हींग, काकड़ासिंगी, गेरू, मुलेठी, सोंठ और नागरमोथा का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर चटाने से हिचकी और श्वास (दमा) में आराम आ जाता है।
- अगर बच्चे को हिचकी आती हो तो सौंफ और शक्कर पीसकर चटायें या शहद चटायें। इससे हिचकी आना बंद हो जाती है।
- गेहूं और जौ के आटे को घी में मिलाकर खिलाना चाहिए और ऊपर से शहद, मिश्री के साथ दूध पिलाना चाहिए। अगर कच्चा दूध नुकसान करे तो दूध गर्म करके ठंडा होने पर उसमें शहद और मिश्री मिलाकर पिलाना चाहिए।
- सेंधानमक, त्रिकुटा, बड़ी करंज, पाढ़ और पहाड़ी करंज को इकट्ठा करके पीस लें। इसके बाद उसमें शहद और घी मिलाकर सेवन करने से बच्चों का सूखा रोग बंद हो जाता है।
- कुछ दिनों तक बच्चों को दूध में बादाम मिलाकर पिलाते रहें। सूखा रोग में लाभ मिलेगा।
- बालकों की गुदा के पकने में पित्त-नाशक चिकित्सा करनी चाहिये। खास करके रसौत पिलाने और रसौत का लेप करने से गुदा-पाक में आराम होता है।
- शंख, मुलेठी और रसौत को पीसकर पानी में मिलाकर लेप करने से गुदा पाक में आराम हो जाता है।
- गुदा पाक रोग में जोंक लगवाकर खून निकलवाना बहुत लाभकारी होता है।
- रसोत को मां के दूध में या पानी में घोलकर पिलायें और साथ ही गुदा पर भी लेप करें। इससे गुदा पाक दूर होता है।
18. बच्चों का अफारा और वात की चिकित्सा : सेंधानमक, सोंठ, हींग और भारंगी का चूर्ण बनाकर उसमें घी मिलाकर खाने से बच्चों के पेट का अफारा (पेट में मरोड़ होना), और बादी (गैस) का दर्द मिट जाती है।
19. विसर्प की चिकित्सा :
- सारिवा, लालकमल, नीलकमल, नागरमोथा, उशीर (खस), सफेद चंदन, कमल, मंजीठ, मुलेठी और सरसों को बारीक पीसकर विसर्प पर लेप करने से विसर्प में आराम होता है।
- बड़, गूलर, पाखर, बेत और जामुन की छाल, मुलेठी, मंजीठ, चंदन, खस और पद्माख को बारीक पीसकर लेप करने से बच्चों के घाव की जलन, लाली, विस्फोटक (चेचक), पीड़ा और घाव दूर हो जाते हैं।
- घर का धुआंसा, हल्दी, कूट, राल और इन्द्रजौ को पीसकर लेप करने से बच्चों का विसर्प-रोग समाप्त हो जाता है।
- कड़वे परवल, हरड़, ऑवला, नीम और हल्दी का काढ़ा बनाकर पीने से घाव, विसर्प, विस्फोटक (चेचक) तथा बुखार आदि समाप्त हो जाते हैं।
21. बच्चों के कांच निकलने पर : अगर बच्चे को कांच की बीमारी हो तो पोस्त, अनार शीरी और हब्बुलास या गुलनार को पानी में डालकर गर्म करके उस पानी से आबदस्त करायें या बालशूलांक पिलायें। यह बच्चों की बहुत उपयोगी औषधि है।
22. नहारू : कड़वे नीम के पत्तों को पीसकर लेप करने से नहारू ठीक हो जाता है।
23. फुंसियां : नीम की छाल को घिसकर पानी में मिलाकर लगाने से फुंसियां दूर होती है।
कड़वे नीम के बीजों को पीसकर पानी में मिलाकर सिर पर लगाने से `जूं´ समाप्त हो जाती है।
24. कान से मवाद आना : अगर कान में मवाद आयें तो फिटकरी और माजूफल को पीसकर शहद में मिलाकर बत्ती बना लें। इस बत्ती को कान में रखने से आराम आता है।
25. फोड़े : कड़वे नीम के पत्तों को पीसकर उन्हें शहद में मिलाकर लगाने से फूटे हुए फोड़े का बहना बंद हो जाता है।
26. नाभि की सूजन : मिट्टी के ढेले को आग में गर्म करके दूध में बुझा लें फिर उससे नाभि पर गर्म-गर्म सिंकाई करें। इससे `नाभि की सूजन´ दूर हो जाती है।
27. सूजन : नागरमोथा, पेठे के बीज, देवदारू तथा इन्द्रजौ को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर पिलाने से बच्चों की `सूजन´ दूर हो जाती है।
28. होंठ फटना : घी में नमक मिलाकर रोजाना दिन में दो से तीन बार नाभि पर लगाने से होठों का फटना दूर हो जाता है।
29. कान में कीड़ा घुसने पर : मकोय के पत्तों का रस कान में डालने से कान में घुसा हुआ कीड़ा मर जाता है।
30. बच्चे द्वारा मिट्टी खा लेने पर : पके हुए केले को शहद में मिलाकर खिलाने से `बच्चों के पेट की मिट्टी´ निकल जाती है।
31. आंखों की जलन : केसर को पीसकर शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से `आंखों की जलन´ दूर होती है।
32. फोड़ा : आंवलों की राख घी में मिलाकर फोडें पर लेप करने से `फोड़ा´ ठीक हो जाता है।
33. सांस फूलना :
- नींबू के रस को शहद में मिलाकर चाटने से बच्चों का सांस फूलना बंद हो जाता है।
- तुलसी के पत्तों का रस 5 बूंदे आधा चम्मच शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों का श्वास रोग नष्ट हो जाता है।
35. हडि्डयों को मजबूत बनाने के लिए: बादाम में चूना, लोहा, फॉस्फोरस ज्यादा पाया जाता है जो बच्चों की हड्डियों को मजबूत करता है। दूध पीने वाले बच्चों के लिए रात को एक बादाम भिगो दें। सुबह बादाम को पीसकर दूध में मिलाकर बच्चे को पिला दें। जहां तक हो सके बच्चों को दवाइयां नहीं देनी चाहिए। हडि्डयों को मजबूत करने के लिए खाने-पीने की सामान्य चीजों से ही चिकित्सा करनी चाहिए।
36. दांत निकलने पर :
- चौकिया सुहागा का फूला शहद में मिलाकर दांत और मसूढ़ों की जड़ में मलने से बच्चों के दांत निकलते वक्त दर्द नहीं होता और दांत आसानी से निकल आते हैं तथा अतिसार (दस्त) व ज्वर (बुखार) भी ठीक हो जाता है।
- जब बच्चे के दांत निकलते हों यानी कि बच्चा जब छठे महीने में चल रहा हो तो उसके मसूढ़ों पर कुतिया का दूध मलने से दांत जल्दी निकल आते हैं।
- दांत के निकलने में बहुत दर्द होता हो तो हरी मकोय का पानी और गुलरोगन गर्म करके उंगली से मसूढ़ों पर मले और एक-दो बूंद तेल भी कान में डाल दें या सम्भालू की जड़ गले में बाधें।
- सम्भालू की जड़ का एक छोटा टुकड़ा बच्चे के गले में बांधने से जल्दी और आराम से दांत निकल आते हैं या बच्चे के गले में सीप बांधने से भी दांत निकल आते हैं।
- सुहागे का लावा पीसकर शहद में मिलाकर बच्चों के मसूढ़ों पर लगाने से भी दांत निकलने में फायदा होता है।
- केले के फूलों से जो बारीक-बारीक तन्तु से गिरते हैं, उनको इकट्ठा करके रस निकाल लेना चाहिए। फिर उस रस में मिश्री और जीरे को मिलाकर लगातार एक बार, 4 से 6 ग्राम बच्चों को लगाना चाहिए और यही रस दिन में 15-20 बार मसूढ़ों पर लगाना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों के दांत निकलते समय होने वाला दर्द और बुखार आदि में आराम भी हो जाता है।
- बच्चों के दांत आसानी से निकले इसके लिए अंडे की जर्दी या गूदा मलें या सीप गले में बांधें।
- बच्चे के गले में सीप लटकाने से भी दांत जल्दी निकल आते हैं।
- धाय के फूल, पीपल और ऑवले के रस को मिलाकर लगाने से भी दांत सहजता से निकल आते हैं।
- काकड़ासिंगी और सागौन को दूध में मिलाकर उबालें। इसके बाद उस दूध को पैरों के तलुवों में लेप करें। इससे बच्चों का सोते समय दांत चबाना शीघ्र ही बंद हो जाता है।
- 10 मिलीलीटर रस अडूसा, 10 ग्राम शहद और डेढ़ ग्राम जवाक्षार को एक साथ मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को दिन में 3-4 बार चटाने से बच्चों की कठिन से कठिन खांसी दूर हो जाती है।
- छोटी पीपल का बारीक चूर्ण शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की खांसी दूर होती है और साथ ही, बुखार, तिल्ली, अफारा (गैस) तथा हिचकी भी समाप्त होती है।
- 10 ग्राम भुना हुआ पोस्त, 2 ग्राम सेंधानमक, 1 ग्राम कालीमिर्च को एक साथ बारीक पीसकर रख लें, फिर आधा ग्राम दवा दिन में तीन से चार बार शहद में मिलाकर बच्चे को चटाने से कफ-खांसी में आराम होता है।
- 30 ग्राम बड़ा मुनक्का, 6 ग्राम कालीमिर्च, 6 ग्राम पियाबांसा, 6 ग्राम भारंगी, 6 ग्राम नागरमोथा, 6 ग्राम अतीस, 4 ग्राम बच, 4 ग्राम खुरासानी अजवाइन और 5 ग्राम शहद को एक साथ पीसकर रख लें। फिर इसे आधा ग्राम लेकर शहद में मिलाकर रोगी को रोजाना चटाने से खांसी के रोग में आराम आता है।
- धनिया और मिश्री को पीसकर, चावल के पानी में मिलाकर बच्चों को पिलाने से उनकी खांसी और दमा दूर हो जाता है।
- कटेरी के फूलों के केसर को पीसकर, उसे शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की सभी प्रकार की खांसी दूर हो जाती है।
- सोंठ, कालीमिर्च, सेंधानमक और गुड़ का काढ़ा हल्का सा गर्म-गर्म पिलाने से बच्चों की खांसी में लाभ मिलता है।
- गर्मी से आने वाली खांसी में कफ पककर सूख जाता है, कफ बाहर नहीं निकलता। ऐसी हालत में लगभग आधा ग्राम भुनी हुई फिटकरी, आधा ग्राम भुना सुहागा, शहद से चटायें या दूध में पिलायें। इससे कफ ढीला होकर खांसी दूर हो जाएगी।
- नागरमोथा, अतीस, जवासा, पीपल और काकड़सिंगी का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की पांचों प्रकार की खांसी में लाभ मिलता है।
- भटकटैया के आधा ग्राम फूल शहद के साथ दिन में दो बार देने से बच्चों की खांसी ठीक हो जाती है।
- फल कटेरी के फूलों के रस में केसर और शहद मिलाकर चटाने से बच्चों की खांसी दूर हो जाती है।
- पिसी हुई छोटी पीपल आधा ग्राम को शहद में मिलाकर सुबह चटाने से खांसी भी ठीक हो जाएगी।
- पिसा हुआ वंशलोचन आधा ग्राम शहद में मिलाकर सुबह चटाने से खांसी ठीक हो जाती है।
- काकड़ासिंगी को पीसकर आधा ग्राम शहद में मिलाकर बच्चे को चटाने से खांसी में जल्दी आराम आता है।
- पीपल वृक्ष की छाल और कोंपल (मुलायम पत्तों) को पीसकर शहद में मिलाकर लगाने से मुख पाक (मुंह के छाले) नष्ट हो जाते हैं।
- सांठी की जड़ को गंगा जल के साथ पीसकर मुंह में लगाने से बच्चों का मुखपाक (मुंह के छाले) रोग दूर हो जाते हैं।
- वंशलोचन, शीतलचीनी (कबाबचीनी), पपड़िया, कत्था और चार दाने छोटी इलायची के लेकर और सबको पीसकर कपडे़ में छानकर बच्चे के मुंह के छालों पर लगाना चाहिए, जिससे लार टपकने लगेगी। ऐसा रोजाना 4 से 5 बार करने से छाले ठीक हो जाते हैं।
- लगभग 5 ग्राम धनिये को 100 मिलीलीटर पानी में रात्रि में भिगोकर सुबह मसलकर छानकर तैयार हिम, फांट या काढे़ से कुल्ला करने से बच्चों के मुंह के सफेद छाले मिट जाते हैं।
- भुनी हुई फिटकरी, पापरी कत्था, इलायची के दानों को एक साथ पीसकर मुंह के छालों में लगाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
- पीपल की छाल और पीपल के पत्तों को पीसकर उसमें शहद मिलाकर बच्चों के मुंह में निकले छालों पर लेप करने से छाले दूर हो जाते हैं।
- बच्चे के हाथ और पैर के तलवों पर सेम के पत्तों का रस और एलुआ मिलाकर लेप करने से बच्चों का ज्वर (बुखार) ठीक हो जाता है।
- 10 ग्राम नीम की पत्ती, 10 ग्राम शहद, 10 ग्राम घी को एक साथ मिलाकर बच्चे के सामने धूनी देने से बच्चे का बुखार उतर जाएगा।
- अतीस, नागरमोथा और काकड़ासिंगी का कपड़छन किया हुआ चूर्ण बराबर-बराबर लेकर दिन में तीन बार शहद में मिलाकर देना चाहिये। बच्चों की उम्र के अनुसार यह चूर्ण प्रत्येक बार लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग देना चाहिए। बच्चों के बुखार और खांसी के लिए भी यह उत्तम प्रयोग है।
- पके हुए बैंगन को भूभल (गर्म राख) में भूनकर बीच में से चीरकर उसे अंडकोषों पर बांधें। इससे बच्चों के अण्डकोषों की वृद्धि दूर होती है।
- काली तम्बाकू के पत्ते पर एरण्ड का तेल लगाकर आग पर गर्म करके सिंकाई करने से तथा उसी पत्ते को बच्चे के अंडकोषों में बांधने से अंडकोषों की सूजन ठीक हो जाती है।
- बच्चों के पेट में दर्द होने पर पहले अच्छी तरह जांच करायें। क्योंकि पेट दर्द का कारण कुछ और भी हो सकता है जैसे- कॉच, लकड़ी, मिट्टी या कोई भी छोटी चीज खा लेना। पेट दर्द का अगर कोई कारण न मिले यानि साधारण दर्द हो तो रूई का गोला बनाकर पेट की सिंकाई करें तथा गुल रोगन गर्म करके पेट पर मलें या आधा ग्राम हींग मां के दूध में मिलाकर पिलाने से बच्चे के पेट का दर्द ठीक हो जायेगा और बच्चा भी चुप हो जायेगा।
- चने के आटे को खूब बारीक पीसकर पानी में मिलाकर गर्म करके बच्चे के पेट पर मलने से आराम आता है।
- एलुवा, हल्दी, फिटकरी, नौसादर और सुहागा को (गाय के पेशाब) के साथ पीसकर पेट पर गर्म-गर्म लेप करने से `पेट का दर्द´ ठीक हो जाता है।
- भुनी हरड़, नमक, हींग लगभग एक चौथाई ग्राम चटाकर पिलायें। इससे बच्चों का पेट दर्द बंद हो जाएगा।
- थोड़े से कपूर में गुड डालकर देना चाहिए। इससे पेट का दर्द दूर होता है।
- मां का दूध छुड़ाकर ऊपरी दूध पिलाने पर यदि शिशु को न पच रहा हो, तो दूध में एक जायफल डालकर खूब उबालें। फिर ठंडा करके पिलाएं। इससे दूध आसानी से हजम होगा और मल बंधा, दुर्गन्ध रहित होगा।
- नींबू के रस की कुछ बूंदे पानी में मिलाकर पिलाने से बच्चा दूध पीने के बाद दूध वापस मुंह से बाहर नहीं निकालता है।
- 1 पके हुए नींबू का रस सुबह के समय पीने से पेट में गड़बड़ी और बच्चे को दूध का न पचना के रोग में लाभ होता है।
- नींबू के रस की पांच बूंदे तीन चम्मच पानी में मिलाकर पिलाने से शिशु दूध नहीं उलटता है।
- हरड़, बच तथा मीठा कूठ इन्हें पानी में पीसकर लुगदी जैसा बना लें। फिर इसे शहद में मिलाकर मां के दूध के साथ मिलाकर पिलाने से `तालुकंटक´ रोग दूर हो जाता है। (इस रोग में बच्चे के मुंह का तालु नीचे की ओर लटक जाता है) जिसके कारण बच्चा दूध नहीं पी पाता है।
- हरड़, बहेड़ा, आंवला, लोध, पुनर्नवा, अदरक, कटेरी तथा कटाई को पीस लें। इसे पानी में मिलाकर गर्म करके हल्का सा गर्म-गर्म पलकों पर लेप करने से पलकों में होने वाला दर्द, मवाद बहना और `कुकूणक´ रोग (बच्चों का अपनी आंखों को मसलते रहना) दूर हो जाता है।
- हर हफ्ते हरड़ को घिसकर एक चौथाई चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सेवन कराते रहने से सारे रोग दूर हो जाते हैं।
- लगभग 20 ग्राम अजवाइन, 20 ग्राम छोटी हरड़, 20 ग्राम सौंफ, 20 ग्राम पीपल, 20 ग्राम सोंठ, 20 ग्राम पांचों नमक, 20 ग्राम गोल मिर्च, 20 मिलीलीटर नींबू का रस, 1 ग्राम का चौथाई भाग आक (मदार) के फूलों की कली को लेकर पीस लें और कपड़े से छानकर बेर के बराबर गोली बनाकर सुबह-शाम को बच्चे को खिलाने से लाभ होता है।
- हरड़, बच और कूठ के चूर्ण को शहद में मिलाकर धुले हुए चावल या मां के दूध के साथ देने से तालुकंटक रोग शांत होता है।
- बच्चे को कब्ज हो तो बड़ी हरड़ (जो साधारण हरड़ से बहुत बड़ी होती है तथा जिसे लोग काबुली हरड़ भी कहते हैं) को जरा सा घिसकर उसके ऊपर से हल्का कालानमक गर्म पानी में मिलाकर पिला दें।
- बड़ी-बड़ी शाखाओं वाली दूब जो अक्सर कुंओं पर होती है। उसे छानकर उसमें दो-तीन ग्राम बारीक पिसे हुए नागकेशर और छोटी इलायची के दाने मिलाकर, सूर्योदय से पहले उस बच्चे को जिसका तालू बैठ गया हो, नाक में डालकर सुंघाने से तालू ऊपर को चढ़ जाती है। इसके सेवन से ताकत बढ़ती है। बच्चे दूध की उल्टी बंद कर देते हैं तथा बच्चों का दुबलापन समाप्त हो जाता है।
46. बच्चों के पेट में कीड़े :
- लगभग 1 ग्राम प्याज के रस में मूंग के दाने के बराबर हींग मिलाकर बच्चे को सुबह और शाम पिलाने से पेट के सभी प्रकार के कीड़े मर जाते हैं।
- इन्द्रायन (इडोरन) की जड़, बकायन की छाल थोड़ी-थोड़ी पीसकर बच्चे के पेट पर लेप करने से दस्त के साथ कीड़े बाहर निकल जाते हैं।
- कबीला, बायविडंग और भुनी हुई हींग को बराबर मात्रा में पीस लें। पहले बच्चे को गुड़ खिला लें और उसके बाद यह मिश्रण खिलाने से पेट के सभी कीड़े मर जाते हैं।
- एरण्ड का तेल गरम पानी के साथ अथवा एरण्ड का रस शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
- 2 ग्राम दूधी के पत्तों का चूर्ण या बीजों की फंकी देने से अतिसार (दस्त) में लाभ होता है और बच्चों के पेट के कीड़े भी मर जाते हैं।
- बच्चों के पेट में कीड़े हो जाने पर उन्हें मेथी का दो चम्मच पानी रोजाना पिलाने से लाभ होता है।
- अगर गुदा मार्ग से मल करते समय कीडे आते हों तो हल्दी और बायविडंग को पीसकर पानी में शक्कर मिलाकर बच्चे को पिलायें या एलुवा को पानी में घोलकर गुदा में लगा दें।
48. कब्ज :
- पान के डंठल में थोड़ा सा घी और नमक लगाकर गुदा में लगाने से दस्त चालू हो जायेंगे और कब्ज का रोग दूर हो जायेगा।
- हरीतकी फल के चूर्ण का क्वाथ (काढ़ा) दिन में 2 बार बच्चों को देना चाहिए
- द्राक्षा क्षीरपाक को दिन में 2 से 3 बार देना चाहिए। इससे बच्चों का पेट साफ रहता है।
- त्रिफला क्वाथ (काढ़ा) दिन में 1 से 2 बार लेना चाहिए।
- यदि बच्चे को कब्ज हो तो गुल रोगन गर्म करके पेट पर लगायें या चूहे की मींगनी को शहद में मिलाकर पहले चिकनाई लगाकर लेप करें।
- रेवन्दचीनी की जड़ को पीसकर दूध में मिलाकर बच्चे को पिलाने से `दस्त´ होकर `कब्ज´ दूर होता है।
- पान को गर्म करके उस पर एरण्ड का तेल चुपड़कर छाती पर बांधने से, बच्चों की घबराहट कम हो जाती है और सर्दी का जोर मिट जाता है।
- यदि बच्चे को ठंड लग गई हो तो थोड़ी सी केसर को दूध में मिलाकर पिला दें। सर्दियों में तो हर 3 से 4 दिन के बाद केसर को दूध में घोलकर पिलाना बहुत ही फायदेमंद है या फिर बच्चे को ब्रान्डी (शराब) की दो-चार बूंद पिलायें। इससे सर्दी या शीत का रोग ठीक हो जाता है।
- बच्चे की छाती पर अलसी का लेप करने से बच्चे को सर्दी नहीं लगती है।
गूलर के दूध का गाढ़ा लेप बच्चे के गाल पर लगाने से बच्चों के गाल की सूजन दूर हो जाती है। 51. बच्चों के गाल की सूजन :
52. नारू (कीड़ा) : अखरोट की खाल को जल के साथ महीन पीसकर आग पर गर्म कर नहरुआ की सूजन पर लेप करके उस पर पट्टी बांधकर खूब सेंक देने से नारू 10-15 दिन में गलकर बह जाता है।
53. निमोनिया : नीलाथोथा, भुना सुहागा को भूनकर 5 ग्राम शहद में मिलाकर उड़द की आधी दाल जैसी गोलियां बनाकर सुखा दें। 1-1 गोली सुबह माता के दूध में गोली घिसकर देने से बच्चे का निमोनिया ठीक होकर दस्त, उल्टी और दूध का गिरना आदि रोग दूर हो जाते हैं।
54. गंजापन और बाल झड़ने पर-
- अनार के ताजे हरे पत्तों के रस में 100 मिलीलीटर पत्तों का कल्क मिलाकर उसमें 1 लीटर सरसों का तेल मिलाकर गर्म कर लें। इस तेल को सिर में लगाने से सिर का गंजापन दूर होता है तथा बालों का झड़ना रुक जाता है।
- कालीमिर्च को प्याज और नमक के साथ पीसकर सिर के बालों में लगाने से दाद और खुजली के कारण बालों का झड़ना दूर होता है।
- हाथी दांत की राख और रसौत लगाने से सिर के गंजे स्थान पर `बाल´ आ जाते हैं।
- ताजे पानी को 4 घंटे तक धूप में रख दें फिर इससे बच्चों को रोजाना एक निश्चित समय पर नहलाने से दुबला बच्चा मोटा हो जाता है।
- बच्चों को रोजाना पपीता खिलाने से बच्चों की लंबाई बढ़ती है और शरीर मजबूत तथा सेहत सही बनी रहती है।
- 1 गिलास दूध में 1 मीठी नारंगी का रस मिलाकर पिलायें। यह बच्चों का पौष्टिक पेय है। इससे शरीर का वजन भी बढ़ता है।
- तिल के तेल को पिलाने से बच्चे के द्वारा रात में पेशाब करने की बीमारी में लाभ होता है।
- लगभग 50 ग्राम काले तिल, 25 ग्राम अजवायन को 100 ग्राम गुड़ में मिला लें। इसे 8 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम प्रतिदिन सेवन करने से बच्चों के बार-बार पेशाब करने की बीमारी में लाभ होता है।
- सारिवा, तिल, लोध और मुलेठी का काढ़ा बनाकर नियमित मुंह में लगाने से या मुंह को धोने से मुंह का स्राव बंद हो जाता है।
- सारिवा, तिल, लोध और मुलहठी के काढ़े से मुंह साफ करें। इससे मुखस्राव बंद हो जाता है।
- तिल और चावलों को एक साथ पीसकर पेट की नाभि पर लेप करने से बच्चों की खुजली आदि रोग दूर होते हैं।
- धुआंसा, हल्दी, कूट, राई और इन्द्रजौ को पीसकर छाछ या मट्ठे (लस्सी) में मिलाकर लेप करने से पामा, सिध्म (सेंहुआ) नाम का कोढ़ दूर हो जाता है।
- बच, कूट और बायविडंग का काढ़ा बनाकर उसमें कन्धोंपर्यन्त (कंधे से निचले अंग) बच्चे को स्नान (नहाने) कराने से विचर्चिका, खुजली और दाद ठीक हो जाते हैं।
- चंदन, खस और पद्याख को पीसकर लेप करने से बच्चों की `खुजली´ `विचर्चिका´ `सिध्म´ (सेहुंआ) और पामा रोग समाप्त हो जाते हैं।
60. दमा : काला अंगूर, अडूसा, हरड़ और पीपल का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर 3 से 5 दिन तक बच्चों को चटाने से बच्चों के श्वास (दमा) और तमक श्वास में आराम होता है।
61. पेशाब की जलन :
- अंगूर, पीपल और सोंठ का चूर्ण बनाकर उसमें शहद और घी मिलाकर चटाने से बच्चों की पुरानी खांसी ठीक हो जाती है।
- पीपल, सोंठ, मिश्री, शहद, छोटी इलायची और सेंधानमक को मिलाकर चटनी की तरह पीसकर बच्चों को चटाने से `पेशाब की जलन´ आदि रोग दूर होते हैं।
63. अनिद्रा : चुटकी भर पीपल की लाख को थोड़े से दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों के दर्द और नींद न आने (अनिंद्रा) का रोग दूर हो जाता है।
64. बालकों का भयभीत होकर रोना :
67. जीभ का फटना : तरबूजे की मींगी (बीज) को पानी में पीसकर होठों अथवा जीभ पर मलने से `होठ तथा जीभ का फटना` ठीक हो जाता है।