इन्फ्लुएन्जा
अगर किसी व्यक्ति को सर्दी के मौसम में पूरे शरीर में दर्द, सिर में दर्द, खांसी, छींक, बुखार आदि के लक्षण प्रकट होते हैं तो यह इन्फ्लुएन्जा का रोग हो सकता है। यह रोग बेसिलस इन्फ्लुएन्जा नामक जीवाणु के द्वारा संक्रमित होता है। अगर इस रोग की समय पर चिकित्सा न कराई जाए तो यह सांस की नली की सूजन, प्लुरिसी, कर्णमूल प्रदाह आदि रोग पैदा हो सकते हैं।परिचय :
कारण :
1. सेंधानमक : 10 ग्राम सेंधानमक को 1 लीटर पानी में डालकर घोल बना लें। इस घोल को बूंद-बूंद करके नाक से डालने से इन्फ्लुएन्जा के बुखार में लाभ मिलता है।2. पीपल : दूध में 2 पीपल या चौथाई चम्मच सोंठ डालकर उबालकर पीने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार दूर हो जाता है।
3. अंकोल : अंकोल की जड़ की छाल का सेवन करने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार दूर हो जाता है। इसका प्रयोग घोड़बच या सोंठ के साथ चावल के माण्ड में उबालकर किया जा सकता है।
4. तुलसी :
12 ग्राम तुलसी के पत्ते, 7 पीसी लौंग को और 3 ग्राम नमक को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब यह पानी आधा बच जाए तो इसे छानकर सुबह और शाम पीने से इन्फ्लुएन्जा के बुखार में लाभ मिलता है।
6 पत्ते तुलसी के और 6 दाने कालीमिर्च के एक साथ अच्छी तरह कूटकर 250 मिलीलीटर पानी में पकाकर चीनी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार दूर हो जाता है।
10 ग्राम तुलसी के पत्तों को 250 मिलीलीटर पानी में पका लें। जब चौथाई पानी रह जाये तो इस पानी को छानकर इसमें सेंधानमक मिलाकर गर्म-गर्म रोगी को पिलाने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार मिट जाता है।
तुलसी के 4-5 पत्ते, 2 लौंग के पीस, लाल इलायची का 1 दाना और 2 कालीमिर्च को एकसाथ मिलाकर 1 कप पानी में पका लें। यह काढ़ा जब आधा कप रह जाए तो इन्फ्लुएन्जा के रोगी को रात को सोने से पहले देने से लाभ मिलता है।
अजवायन, दालचीनी 2-2 ग्राम को 50 मिलीलीटर पानी में उबालकर ठंड़ा कर लेते हैं। इसके बाद इसे छानकर सुबह और शाम पीने से इन्फ्लुएन्जा के बुखार में लाभ होता है।
3 ग्राम अजवाइन और 3 ग्राम दालचीनी को पानी में डालकर उबाल लें। इस पानी को छानकर पीने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार ठीक हो जाता है। अथवा 12 ग्राम अजवाइन को 2 कप पानी में उबालें। जब पानी आधा बच जाये तब इसे ठंडा करके छान लें और रोजाना 4 बार पीने से इन्फ्लुएन्जा के बुखार में लाभ होता है।
10 ग्राम अजवायन को 200 मिलीलीटर गुनगने पानी में पकाकर या फांट तैयार करके लगभग 3 घंटे के बाद 25-25 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से इन्फ्लुएन्जा के रोगी की बैचेनी शीघ्र दूर हो जाती है। इसका प्रयोग करने से 24 घंटे में ही लाभ हो जाता है।
3 ग्राम अजवाइन और 3 ग्राम दालचीनी को पानी में उबालकर इसका पानी पीने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार उतर जाता है।
12 ग्राम अजवाइन को 2 कप पानी में उबालकर आधा पानी रहने पर ठंडा करके छानकर इसी प्रकार रोजाना 4 बार पीने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार शीघ्र ठीक हो जाता है।
7. कपूर : कपूर की टिकिया सदा पास में रखने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार नहीं होता है।
8. सोंठ :
3 ग्राम सोंठ, 7 तुलसी के पत्ते और 7 कालीमिर्च के दानों को एक साथ कूटकर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में चीनी मिलाकर गुनगुने रूप में लेने से इन्फ्लुएन्जा के बुखार में लाभ होता है।
इन्फ्लुएन्जा के बुखार में सोंठ, देवदारू, रास्ना, नागरमोथा, कटेरी तथा चिरायता आदि को बराबर की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए।
9. कटेरी : इन्फ्लुएन्जा के बुखार में कटेरी, गिलोय, सोंठ और कालीमिर्च को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में कई बार ले सकते हैं।
10. शहद :
12. अदरक :
अदरक, तुलसी, कालीमिर्च तथा परवल के पत्तों को पकाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से इन्फ्लुएन्जा के बुखार में आराम होता है।
3 ग्राम की मात्रा में अदरक या सोंठ, 7 तुलसी के पत्ते, 7 पीस कालीमिर्च और थोड़ी सी दालचीनी को 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर उसमें चीनी मिलाकर गर्म-गर्म पीने से इन्फ्लूएन्जा, जुकाम, खांसी और सिरदर्द दूर होता है।
अदरक के रस को गर्म पानी में मिलाकर उसमें नमक डालकर गरारे करने से इन्फ्लुएंजा व सर्दी के कारण होने वाले गले के दर्द में बहुत लाभ होता है।
5 ग्राम दालचीनी, 2 लौंग और चौथाई चम्मच सोंठ को पीसकर 1 लीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब यह पानी चौथाई मात्रा में रह जाए तो इसे छानकर इसी पानी को दिन में 3 बार खुराक के रूप में लेने से इन्फ्लुएंजा के बुखार में आराम आता है।
दालचीनी का तेल 2 से 3 बूंद तक एक कप पानी में मिलाकर सेवन करने से इन्फ्लूएंजा का बुखार, आंतों में दर्द, हिचकी और उल्टी में लाभ होता है।
15. नारंगी :
अन्य उपचार :
इन्फ्लुएंजा के बुखार में रोगी को अकेले में, हवादार कमरे में और आरामदायक बिस्तर पर लेटना चाहिए।
रोगी को ठंडी हवा तथा ठंडी चीजों से बचना चाहिए।
पानी को उबालकर उसे ठंड़ा करके पीना चाहिए।
रोगी को भोजन में सुपाच्य और पौष्टिक पदार्थ लेने चाहिए।
रोगी की छाती पर अलसी या तारपीन का तेल, सरसों के तेल में मिलाकर मलना चाहिए।
गर्म पानी में 10-12 बूंदें यूकेलिप्टस आइल की डालकर रोगी को सूंघने के लिए दें।
रोगी को साफ-सुथरे कमरे में साफ बिस्तर पर लिटाना चाहिए।
रोगी को अधिक चलाना-फिराना नहीं चाहिए और पूर्ण विश्राम करना चाहिए।
रोगी के कमरे में हीटर लगा दें ताकि उसके कमरे का वातावरण गर्म रहे।
पानी को उबालकर उसमें 3-4 पत्तियां तुलसी की डालकर ठंड़ा करने के लिए रख देना चाहिए। फिर यह गुनगुना पानी रोगी को पिलाना चाहिए।
रोगी को भोजन में पतली चीजें देनी चाहिए ताकि वे जल्दी ही पच सकें। रोगी को दूध पतला करके देना चाहिए।
इन्फ्लुएंजा से पीड़ित रोगी के कमरे में अन्य व्यक्तियों को नहीं जाने देना चाहिए।- रोगी की नाक, थूक आदि को ढके हुए बर्तन में ले जाकर समाप्त कर देना चाहिए। खुले में रोगी को थूकने नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे कीटाणु सभी ओर फैल जाते हैं। इसके साथ ही छींकते समय भी मुंह पर रूमाल रख लेना चाहिए।