सूखा रोग sukha rag
सूखा रोग (रिकेट्स) ज्यादातर उन बच्चों में होता है, जिनके शरीर में विटामिन `डी´ और कैल्शियम की कमी होती है। यदि पाचन-क्रिया (भोजन हजम करने की क्रिया) खराब होती है, तो बच्चों को दूध और अन्य ठोस पदार्थ आसानी से नहीं पच पाते हैं। ऐसी हालत में बच्चे का शरीर बिल्कुल सूख जाता है और कमर भी बिल्कुल पतली पड़ जाती है। बच्चा हर समय रोता रहता है। उसे पतले दस्त होने लगते हैं तथा दोनों ओर के स्तनों का मांस भी सूखता चला जाता है। त्वचा में झुरियां पड़ जाती हैं। यह रोग कुपोषण (कमजोरी), जिगर की खराबी और बच्चे को डराने के कारण हो जाता है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिंदी | सूखा रोग |
मराठी | मृदादोष |
तमिल | कन्नम कन्नई |
असमी | फक्करोग |
तेलगु | पित्तबरुटा |
अंग्रेजी | रिकेट्स |
गुजराती | सुखारोग |
कन्नड़ | अल्लेरोग, कूटिलवात |
मलयालम | काना |
2. अंगूर : अंगूर का रस जितना ज्यादा हो सके बच्चे को पिलाना लाभकारी है। इस रस को टमाटर के रस के साथ मिलाकर पिलाने से भी बच्चा सेहतमंद और तन्दुरुस्त होता है।
3. बादाम : रात को तीन बादाम भिगोकर और सुबह उसे पीसकर दूध में मिलाकर बच्चे को पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) ठीक हो जाता है।
4. अमचूर : अमचूर को भिगोकर उसमें शहद मिलाकर रोजाना दो बार बच्चे को चटाने से सूखा रोग में आराम आता है।
5. बैंगन : बैंगन को अच्छी तरह से पीसकर उसका रस निकालकर उसके अंदर थोड़ा सा सेंधानमक मिला लें। इस एक चम्मच रस को रोजाना दोपहर के भोजन के बाद कुछ दिनों तक बच्चे को पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) में आराम आता है।
6. नागरमोथा : नागरमोथा, पीपल, अतीस और काकड़ासिंगी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इस चूर्ण में से एक चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ बच्चे को चटाने से बुखार, अतिसार (दस्त), खांसी तथा सूखा रोग (रिकेट्स) दूर हो जाता है।
7. पीपल :
9. मछली : बच्चे के शरीर पर मछली के तेल की मालिश करने से सूखा रोग (रिकेट्स) में आराम आता है।
10. जामुन : एक चम्मच जामुन का सिरका पानी में मिलाकर बच्चे को पिलाने से बच्चे की तिल्ली (जिगर) बढ़ा हुआ ठीक हो जाता है।
11. कालीमिर्च : कंधारी, कच्ची फिटकरी, कालीमिर्च, अनार के फूल, आम की गुठली का गूदा, वंशलोचन, मोचरस पठानी लोध्र, जायफल, पेठे के बीज की गिरी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर पानी के साथ पीस लें। फिर इसकी सरसों के दाने से थोड़ी सी बड़ी गोलियां तैयार कर लें। इस एक गोली को रोजाना सुबह और शाम गाय के दूध के साथ देने से सूखा रोग (रिकेट्स) कुछ समय में ठीक हो जाता है।
12. मकोय : मकोय के पत्तों का रस रोजाना सुबह और शाम बच्चे को पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) में लाभ होता है।
13. शहद : मां के दूध में शुद्ध शहद को मिलाकर बच्चे को 20-25 दिन तक रोजाना पिलाना चाहिए। इससे बच्चों का सूखा रोग ठीक हो जाता है।
14. केसर : सुबह सूरज उगने से पहले काली गाय का 10 मिलीलीटर पेशाब और 10 ग्राम केसर लें। केसर को गाय के पेशाब में मिलाकर शीशी में भर लें। 6 महीने तक के बच्चों को इसकी 5 बूंदें और उसके ऊपर की उम्र के बच्चे को 8 बूंदे सुबह और शाम मां के दूध के साथ देने से सूखा रोग (रिकेट्स) मिट जाता है।
15. गिलोय : हरी गिलोय के रस में बालक का कुर्त्ता रंगकर सुखा लें और यह कुर्त्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें। इससे बच्चा कुछ ही दिनों में सही हो जायेगा।
16. भैंस का गोबर : भैंस का ताजा गोबर लेकर सुबह-शाम बच्चे के कंधों और कमर में 5 मिनट तक अच्छी तरह से लेप कर दें। पांच मिनट के बाद गर्म पानी से अच्छी तरह धोने से कमर पर काले रंग के छोटे-छोटे कांटे दिखाई देगें। जल्दी से इन्हें निकाल लें। कुछ दिनों के बाद कांटे निकलने बन्द हो जायेंगे और बच्चा बिल्कुल ठीक हो जायेगा।
17. आम : एक चम्मच अमचूर को भिगोकर उसमें दो चम्मच शहद मिलाकर बच्चे को नित्य दो बार चटाने से सूखारोग ठीक हो जाता है।
18. आम : कच्चे आम के अमचूर को भिगोकर उसमे दो चम्मच शहद मिलाकर एक चम्मच दिन में दो बार लेने से इस रोग में आराम मिलता है।
19. गूलर : 5 बूंदें गूलर के दूध की 1 बताशे पर डालकर खिलाने से बच्चों में सूखे का रोग (रिकेटस) ठीक हो जाता है।
20. खजूर : बच्चों के सूखा रोग में खजूर और शहद को बराबर की मात्रा में मिला कर दिन में दो बार कुछ हफ्ते तक खाना चाहिए। इससे सूखा रोग ठीक हो जाता है।
21. अनन्तमूल : अनन्तमूल की जड़ और बायबिडंग का चूर्ण बराबर की मात्रा में मिलाकर आधे चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन कराने से बच्चे का स्वास्थ्य सुधरता है।
22. अनार : अनार की कली 25-25 ग्राम, आटे में बंदकर पुटपाक विधि से रस निकाल लें। इस रस को थोड़े से दूध के साथ नित्य पिलाने से बच्चों का सूखा रोग दूर हो जाता है।
23. पत्थरचटा :
25. गोमूत्र : एक बिल्कुल काली गाय का पेशाब सूरज निकलने से पहले एक लीटर लेकर आ जाएं। फिर 10 ग्राम असली कश्मीरी केशर लेकर पहले गाय के पेशाब में ही पीसकर लुगदी बनाकर रख लें फिर उसे लगभग एक लीटर गाय के पेशाब में घोल लें और छानकर साफ शीशी में भरकर रख लें। 6 महीने के बच्चे को 4 बूंदे, 6 महीने से ऊपर के बालक को 8 बूंदे मां के दूध के साथ मिलाकर सुबह और शाम दोनो समय पिलाया करें। इससे सूखा का रोग दूर हो जाता है।
26. सौंफ : सौंफ, अजवायन वायविरंता, पीपल, भुना हुआ सुहागा, नौसादर, मरोड़फली, इन्द्रजौ, सनाय, मुलहठी, हर्र, कचूर, लौंग, मंगोर, अमलतास को लेकर पीस लें और लगभग 10 लीटर पानी में मिलाकर काढ़ा बनाने के लिए आग पर रख दें। जब यह पकते-पकते 1.25 लीटर के करीब रह जाये तो उतार लें। अब इसमें तीन ग्राम केशर पीसकर डाल दें और 250 ग्राम मिश्री मिलाकर फिर पकाने के लिये रख दें जब 1 तार की चाशनी बन जायें तो उतार लें और बोतल में भर लें यह बाल संजीवन अर्क (रस) है। सूखा रोग दूर करके बच्चों को मोटा ताजा बनाने वाला, बुखार, खांसी, उदर रोगों को समाप्त करने वाला, हरे पीले दस्तों को दूर करने वाला है।
27. मजीठ : लगभग 125 ग्राम मजीठ, 20 ग्राम छड़ीला सुगंधवाला, 20 ग्राम नागरमोथा, 20 ग्राम हल्दी, 6-6 ग्राम लौंग, सोंठ, तज, जायफल, दारूहल्दी, अदरक की घुंघचू, पीपल, 40 ग्राम कचूर, 10-10 ग्राम चंदन का बुरादा, लाल चन्दन और 3 ग्राम कपूर को लेकर इसमें 4.5 लीटर पानी मिलाकर काढ़ा बना लें। जब यह काढ़ा एक लीटर रह जाये तो इसमें 500 मिलीलीटर तिल का तेल डालकर पका लें। जब काढ़ा जल जाये और सिर्फ तेल ही रह जाये तो उतारकर छान लें। अब इसमें लाल रतन जोत पीसकर डाल दें और छान लें। इसमें कपूर डालकर शीशी में रख लें। यह लाल तेल सूखा नाशक है। इस तेल से मालिश करने से ज्वर (बुखार), बदन का दर्द, चमड़ी की सिकुड़न और कमजोरी दूर होती है।