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चेचक बड़ी माता (Chicken pox)
चेचक के रोग में बुखार के बाद शरीर पर लाल दाने निकलते हैं। ये दाने 2 से 3 दिन के बाद फफोले का रूप ले लेते हैं। 4 से 5 दिन में इन दानों में से पपड़ी जमकर नीचे गिरने लगती है। चेचक में बुखार और प्रदाह (जलन) के कारण रोगी को काफी बैचेनी होती है। इस रोग को ठीक होने में कम से कम 7 से 10 दिन तक लग जाते हैं।परिचय-
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. नीम :
2. जीरा : 100 ग्राम कच्चा धनिया और 50 ग्राम जीरा को 12 घंटों तक पानी में भीगने के लिये रख दें। फिर दोनों को पानी में अच्छी तरह से मिला लें और इस पानी को छानकर बोतल में भर लें। चेचक के रोग में बच्चे को बार-बार प्यास लगने पर यही पानी पिलाने से लाभ होता है।
3. शहद : चेचक के रोग में रोगी को शहद चटाने से लाभ होता है।
4. कालीमिर्च : 5 नीम की कोंपल (नई पत्तियां) 2 कालीमिर्च और थोड़ी सी मिश्री लेकर सुबह-सुबह चबाने से या पीसकर पानी के साथ खाने से चेचक के रोग में लाभ होता है।
5. चमेली : चेचक के रोग में चमेली के 10-15 फूलों को पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।
6. दूध : गाय का ताजा दूध और घी को एक साथ मिलाकर उसमें मिश्री मिलाकर बच्चों को पिलाने से चेचक के बुखार में लाभ होता है।
7. मुनक्का: चेचक के रोगी को दिन में कई बार 2-2 मुनक्का या किशमिश खिलाने से लाभ होता है।
8. इमली : इमली के बीज और हल्दी का चूर्ण ठंडे पानी के साथ पीने से चेचक का रोग नहीं होता है।
9. लताकरंज : लताकरंज के बीज, तिल और सरसों को बराबर मात्रा में मिलाकर लेप बना लेते हैं। इस लेप को चेचक के दानों पर लगाने से आराम मिलता है।
10. अंगूर : अंगूर को गर्म पानी में धोकर खाने से चेचक के रोग में लाभ होता है।
11. संतरा :
12. चना : चेचक से पीड़ित रोगी को भीगे हुए चनों पर अपनी हथेलियां रखनी चाहिए क्योंकि भीगा हुआ चना चेचक के कीटाणुओं को सोख लेता है।
13. हल्दी :
14. तुलसी :
चेचक बड़ी माता (Chicken pox)
चेचक के रोग में बुखार के बाद शरीर पर लाल दाने निकलते हैं। ये दाने 2 से 3 दिन के बाद फफोले का रूप ले लेते हैं। 4 से 5 दिन में इन दानों में से पपड़ी जमकर नीचे गिरने लगती है। चेचक में बुखार और प्रदाह (जलन) के कारण रोगी को काफी बैचेनी होती है। इस रोग को ठीक होने में कम से कम 7 से 10 दिन तक लग जाते हैं।परिचय-
कारण :
भोजन और परहेज :
छोटे बच्चों को चेचक होने पर दूध, मूंग की दाल, रोटी और हरी सब्जियां तथा मौसमी फल खिलाने चाहिए या उनका जूस पिलाना चाहिए।
चेचक के रोग से ग्रस्त रोगी के घर वालों को खाना बनाते समय सब्जी में छोंका नहीं लगाना चाहिए।
रोगी को तली हुई चीजें, मिर्चमसाले वाला भोजन और ज्यादा ठंड़ी या ज्यादा गर्म चीजें नहीं देनी चाहिए।
अगर बुखार तेज हो तो दूध और चाय के अलावा रोगी को कुछ नहीं देना चाहिए।
दरवाजे पर नीम के पत्तों की टहनी लटका देनी चाहिए।
1. नीम :
नीम की छाल को पानी में पीसकर चेचक के दानों पर लगाने से आराम आता है।
नीम के तेल में आक के पत्तों का रस मिलाकर चेचक के दानों पर लगाने से लाभ होता है।
चेचक के रोगी का बिस्तर बिल्कुल साफ-सुथरा रखें और उसके बिस्तर पर नीम की पत्तियां रख दें। फिर नीम के मुलायम पत्तों को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इस 1-1 गोली को सुबह और शाम दूध के साथ रोगी को खिलायें। गर्मी का मौसम हो तो नीम की टहनी से हवा करने से चेचक के दानों में मौजूद जीवाणु जल्द ही समाप्त हो जाते हैं। तवे पर मुनक्का को भूनकर रोगी को खिलाना चाहिए।
नीम के 7 से 8 मुलायम पत्तों (कोपले) और 7 कालीमिर्च को 1 महीने तक लगातार सुबह खाली पेट खाने से चेचक जैसा भयंकर रोग 1 साल तक नहीं होता। 15 दिन तक यह खाने से 6 महीने तक चेचक (माता) नहीं निकलती। जिन दिनों चेचक का रोग फैल रहा हो उन दिनों में जो लोग नीम के पत्तों का सेवन करते हैं उन्हें चेचक (माता) जैसा भयंकर रोग नहीं होता है।
नीम की लाल रंग के 7 कोमल पत्तियां की और 7 कालीमिर्च को एक महीने तक नियमित रूप से खाने से चेचक में निश्चित ही लाभ होता है।
नीम के बीज, बहेड़े और हल्दी को बराबर मात्रा में लेकर ठंड़े पानी में पीसकर छान लें। इसे कुछ दिनों तक पीते रहने से चेचक के दानों में शान्ति मिलती है।
नीम के पेड़ की 3 ग्राम कोपलों को 15 दिन तक लगातार खाने से 6 महीने तक चेचक नहीं निकलती है।
नीम की कोमल पत्तियों को पीसकर रात को सोते समय चेहरे पर लेप करें और सुबह ठंड़े पानी से चेहरे को धो लें। यह प्रयोग लगातार 50 दिन करने से चेचक के दाग मिट जाते हैं। चेचक के दानों पर कभी भी मोटा लेप नहीं करना चाहिए।
नीम के बीजों की 5-10 गिरी को भी पानी में पीसकर लेप करने से चेचक की जलन शान्त हो जाती है।
यदि चेचक के रोगी को अधिक प्यास लगती हो तो नीम की छाल को जलाकर उसके अंगारों को पानी में डालकर बुझा लें। इस पानी को छानकर रोगी को पिलाने से प्यास शान्त हो जाती है। अगर प्यास इससे भी शान्त न हो 1 किलो पानी में 10 ग्राम कोमल पत्तियों को उबालकर जब आधा पानी शेष रह जायें, तब इसे छानकर रोगी को पिला दें। इस पानी को पीने से प्यास के साथ-साथ चेचक के दाने भी सूख जाते हैं।
जब चेचक के दाने ठीक हो जाये तो नीम के पत्तों के काढ़े से नहाना चाहिए।
10 ग्राम नीम के मिश्रण और 5 कालीमिर्च का चूर्ण रोजाना सुबह कुछ दिन तक सेवन करने से चेचक के दानों में लाभ मिलता है।
3. शहद : चेचक के रोग में रोगी को शहद चटाने से लाभ होता है।
4. कालीमिर्च : 5 नीम की कोंपल (नई पत्तियां) 2 कालीमिर्च और थोड़ी सी मिश्री लेकर सुबह-सुबह चबाने से या पीसकर पानी के साथ खाने से चेचक के रोग में लाभ होता है।
5. चमेली : चेचक के रोग में चमेली के 10-15 फूलों को पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।
6. दूध : गाय का ताजा दूध और घी को एक साथ मिलाकर उसमें मिश्री मिलाकर बच्चों को पिलाने से चेचक के बुखार में लाभ होता है।
7. मुनक्का: चेचक के रोगी को दिन में कई बार 2-2 मुनक्का या किशमिश खिलाने से लाभ होता है।
8. इमली : इमली के बीज और हल्दी का चूर्ण ठंडे पानी के साथ पीने से चेचक का रोग नहीं होता है।
9. लताकरंज : लताकरंज के बीज, तिल और सरसों को बराबर मात्रा में मिलाकर लेप बना लेते हैं। इस लेप को चेचक के दानों पर लगाने से आराम मिलता है।
10. अंगूर : अंगूर को गर्म पानी में धोकर खाने से चेचक के रोग में लाभ होता है।
11. संतरा :
13. हल्दी :
नीम की कोंपले (नीम की नई पत्तियां) और तुलसी के पत्तों का चूर्ण बनाकर शहद या मिश्री के साथ मिलाकर सुबह-सुबह चेचक से ग्रस्त रोगी को देने से लाभ होता है।
तुलसी के पत्तों के साथ अजवायन को पीसकर प्रतिदिन सेवन करने से चेचक का बुखार कम हो जाता है।
जब चेचक (माता) फैल रही हो तो उस समय प्रतिदिन सुबह तुलसी के पत्तों का रस पीने से चेचक के संक्रमण से सुरक्षा बनी रहती है।
सुबह के समय रोगी को तुलसी के पत्तों का आधा चम्मच रस पिलाने से चेचक के रोग में लाभ होता है।
बुखार को कम करने के लिये तुलसी के बीज और धुली हुई अजवाइन को पीसकर रोगी को पानी के साथ दें।
लगभग आधा ग्राम केसर को नारियल के पानी के साथ रोजाना 2 बार रोगी को पिलाने से चेचक के दाने जल्दी ही और आसानी से बाहर आ जाते हैं।- नारियल के तेल में कपूर को मिलाकर लगाने से चेचक के दाग मिट जाते हैं।