बाल रोगों में लाभदायक जड़ी-बूटियां (Useful herbs in children diseases)
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पंचकोल में पिप्पली का मुख्य योगदान है, पिप्पली, पीपलामूल, चव्य, चित्रक और सोंठ यह पंचकोल है, इसका चूर्ण 240 ग्राम दोनों प्रकार की छोटी कटेरी और बड़ी कटेरी के रस में शहद मिलाकर वमन (उल्टी), दूध उलटना, अपच (भोजन न पचना) आदि रोगों में देते हैं। रस की मात्रा 10 या 15 मिलीलीटर होनी चाहिए। सर्दी, खांसी, कफ (बलगम), तथा वातरोग के लिए लाभकारी है।
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बच्चे को हिचकी और वमन (उल्टी) हो तो पिप्पली और कालीमिर्च का चूर्ण शहद के साथ चटाना बहुत ही लाभकारी है।
परिचय : तुलसी एक ऐसी वनस्पति है जो धार्मिक हिन्दू समुदाय में बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है। बच्चे, बूढ़े, औरते और आदमी सभी इसके सेवन से लाभ उठाते हैं। तुलसी जुकाम, खांसी, बुखार, सूखा रोग (रिकेटस), डब्बा रोग, पसलियों का चलना, बच्चों का निमोनिया, कब्ज और अतिसार (दस्त), सभी में रोगों में चमत्कारी रूप से अपना असर दिखाती है।